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रूस ने भारत को दिया यूक्रेन से जंग में मध्यस्थता का ऑफर, PM मोदी की जमकर तारीफ

ukraine russia war: यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के 37वें दिन रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन से जंग में भारत की मध्यस्थता से रूस को कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि यूक्रेन से जंग के शुरुआत से भारत का रुख निष्पक्ष रहा है और भारत अमेरिका के दबाव में कभी नहीं आया। लावरोव ने कहा कि रूस रक्षा क्षेत्र में भारत के साथ किसी भी सामान की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है।

रूसी कच्चे तेल की खरीद पर लावरोव ने कहा कि अगर भारत रूस से कुछ भी खरीदना चाहता है तो हम इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को नई दिल्ली में भारत के नेताओं के साथ बैठक की। भारत आने से पहले लावरोव ने चीन का दौरा किया था। संकेत साफ है कि रूस पश्चिमी प्रतिबंधों के जवाब में एशियाई शक्तियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है।

रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने शुक्रवार को भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात के बाद कहा कि यूक्रेन से जंग में रूस को भारत की मध्यस्थता से कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत का इससे पहले मध्यस्थता की पेशकश रूस के सामने नहीं लाई गई थी क्योंकि अभी तक भारत का रुख पूरी तरह से निष्पक्ष रहा है और वो अमेरिका के दबाव में नहीं आया।

भारत से किसी भी सामान की आपूर्ति के लिए तैयार

लावरोव ने कहा कि हम भारत को किसी भी सामान की आपूर्ति करने के लिए तैयार रहेंगे जो वह हमसे खरीदना चाहता है। हम चर्चा के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने दोहराया कि रूस और भारत के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं।

यूक्रेन में जंग नहीं विशेष ऑपरेशन

लावरोव ने यूक्रेन संकट पर सफाई भी दी। कहा कि आपने इसे युद्ध कहा जो सच नहीं है। यह एक विशेष ऑपरेशन है। इसका उद्देश्य रूस की संप्रभुता और अखंडता को बरकरार रखना है। बताते चलें कि फरवरी माह में यूक्रेन की धरती पर हमले के बाद रूस पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से जूझ रहा है। ऐसे में रूस एशिया के दो शक्तिशाली देशों भारत और चीन का दौरा करके प्रतिबंधों के नुकसान को कम करने की कोशिश में जुटे हैं।

यूक्रेन संकट पर अमेरिका भी कर चुका है भारत से बात

इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी गुरुवार की देर रात भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ टेलीफोन पर बात की और “यूक्रेन में बिगड़ती मानवीय स्थिति” और अन्य मामलों पर चर्चा की। गौरतलब है कि भारत और चीन एकमात्र ऐसे प्रमुख देश हैं जिन्होंने रूस के कार्यों की निंदा नहीं की है। इस सप्ताह लावरोव के चीन दौरे के बाद बीजिंग ने कहा था कि वह रूस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को विकसित करने के लिए अधिक दृढ़ है।

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