यूक्रेन में भारतीय छात्रों की ‘ढाल’ बना तिरंगा, तिरंगे के साये में वापस लौट रहे वतन
‘हिन्दुस्तान’ की आन-बान और शान तिरंगा युद्धग्रस्त यूक्रेन में भारतीय छात्रों की ढाल बना है। यूक्रेन में जहां हर ओर भयावह माहौल है, वहीं बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी वहां फंसे हैं। अब तिरंगे के साये में वह अपने वतन महफूज लौट रहे हैं। यूक्रेन में तिरंगा भारतीयों का सुरक्षा कवच बना है।
दूसरे देशों की सीमाओं पर पहुंच रहे छात्रों की बसों और अन्य वाहनों में तिरंगा झंडा लगाया गया है। साथ ही भारत सरकार के आदेश की प्रति भी चस्पा की गई है। तिरंगे को देखकर रूसी सेना के जवान सम्मान कर रहे हैं और छात्रों को हिफाजत के साथ उनकी मंजिल की ओर रवाना कर रहे हैं। भारतीय झंडे वालों को सुरक्षित निकालने में रूसी सेना भी मदद कर रही है। छात्र आशीष नौटियाल ने बताया कि भारतीय झंडा लगा देख बसों को ससम्मान और बेरोकटोक जाने दिया जा रहा है।
राहत से पहले 12 घंटे का मुश्किल सफर
‘यूक्रेन के ओडेसा शहर से शाम छह बजे (भारतीय समयानुसार) बस में रोमानिया बॉर्डर की ओर निकल गए हैं। घर वापसी की उम्मीद जगी है। राहत तो मिली है, लेकिन बस में 12 घंटे का मुश्किल सफर तय करना है।’ ‘हिन्दुस्तान’ से शनिवार शाम को फोन पर बातचीत में देहरादून के सहस्रधारा रोड निवासी विदित चौहान ने बताया कि वह और उनके साथ करीब 300 अन्य भारतीय मूल के छात्र ओडेसा से यूक्रेन बॉर्डर के लिए निकल रहे हैं।
यहां से बसें लगाई गई हैं। उनकी बस में 50 लोग सवार हैं। यहां से पहले रोमानिया बॉर्डर पहुंचना है। वहां से फिर रोमानिया में भारतीय एंबेसी पहुंचना है। रोमानिया से एयर इंडिया की फ्लाइट से भारत भेजने की सूचना मिली है।
उत्तरकाशी के आशीष ने निभाई उत्तराखंडियत
उत्तरकाशी निवासी आशीष नौटियाल ने उत्तराखंडियत दिखाते हुए पहले अपने जूनियर छात्रों को हॉस्टल से निकाला। यूक्रेन में टर्नोपिल विवि से एमबीबीएस कर रहे आशीष ने शनिवार को अपने जूनियरों को हॉस्टल से रोमानिया के लिए भेजा। जूनियरों के जाने के बाद वह टैक्सी से चार बजे रोमानिया के लिए निकले। टर्नोपिल स्थित विवि से 300 किमी का सफर तय कर बच्चे रोमानिया पहुंच रहे हैं।
सपोर्ट कर रहा भारतीय दूतावास
आशीष ने बताया कि यूक्रेन से रोमानिया पहुंचने के बाद वहां भारतीय दूतावास सपोर्ट कर रहा है। वहां रुकने की भी व्यवस्था है। कोई तत्काल जाना चाहता है तो उसे भेजा भी जा रहा है। रोमानिया में दो दिन तक रुकने की व्यवस्था की गई है। खाने की भी व्यवस्था की गई है।