Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के आर्थिक हालात बेहद खराब, हिंसा और आगजनी में पांच की मौत, कई जगहों पर कर्फ्यू In Video
कोलंबो (एएफपी)। श्रीलंका के आर्थिक हालात लगातार खराब हो रहे हैं। इसको लेकर कई दिनों से सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। सोमवार को महिंदा राजपक्षे के पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद स्थिति और खराब हो गई। सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने मेदामुलाना, हंबनटोटा में राजपक्षे परिवार के पैतृक घर को आग लगा दी। इसके अलावा इन प्रदर्शनकारियों ने कई नेताओं के घरों को भी आग के हवाले कर दिया। सुरक्षाकर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के दौरान पांच लोगों की भी मौत हो गई है।
Sri Lanka deploys thousands of troops and police to enforce a curfew after five people were killed in the worst violence in weeks of protests over an unprecedented economic crisishttps://t.co/lTYilZYcNz pic.twitter.com/0kq9BVI8Gi
— AFP News Agency (@AFP) May 10, 2022
इसके अलावा करीब 200 लोग घायल भी हैं। प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। इस दौरान पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पेट्रोल बम फेंके। इस घटना के बाद राजधानी समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। ये कर्फ्यू बुधवार को सब कुछ शांत रहने पर हटाया जाएगा। देशभर में स्कूल, कालेज समेत दूसरे सरकारी और निजी संस्थान बंद हैं।
गृह युद्ध छिड़ने की आशंका
श्रीलंका की खराब होती स्थिति लगातार वहां पर गृहयुद्ध छिड़ने की तरफ भी इशारा कर रही है। सरकार मौजूदा हालातों पर काबू पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। वहीं देश में खाने-पीने की चीजों की कमी और उस पर जरूरी चीजों की आसमान छूती कीमतो से लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। आलम ये है कि वहां पर दवाओं से लेकर खाने-पीने ओर तेल तक की जबरदस्त कमी है।
भारत की मदद
श्रीलंका के खराब होते हालातों को देखते हुए भारत ने उसको वित्तीय मदद के अलावा दूसरी मदद भी भेजी है। बांग्लादेश ने भी श्रीलंका को जो कर्ज दिया था उसको चुकाने में भी वो नाकाम रहा है। इसको देखते हुए बांग्लादेश ने 20 करोड़ डालर के कर्ज की अदायगी की समय सीमा एक वर्ष के लिए बढ़ा दी है। श्रीलंका की इस बदहाली के लिए जानकारी वहां की सरकार की नीतियों को दोषी ठहरा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि श्रीलंका ने जिस तरह से चीन पर विश्वास कर उससे नजदीकी बनाई उसका खामियाजा भी आज देश और देश की जनता को उठाना पड़ रहा है।
पिछले दिनों ही सरकार ने जो जानकारी साझा की थी उसमें कहा गया था कि देश में मार्च में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 21.5 प्रतिशत तक हो गई है। श्रीलंका इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आईएमएफ) से चार अरब डालर के बेलआउट पैकेज को लेकर संपर्क साधे हुए है। रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष में भारत श्रीलंका को 2।4 अरब डॉलर की मदद कर चुका है।
क्या कहते हैं जानकार
बता दें कि श्रीलंका के भू-राजनीतिक विश्लेषक असंगा अबेयागोनेस्करा ने कुछ दिन पहले ही चीन पर निशाना साधते हुए कहा था कि कर्ज उतारने के लिए दोबारा कर्ज देने की बात उन्होंने पहली बार सुनी है। उन्होंने यहां तक कहा था कि ये कर्ज किस शर्त पर दिया गया है इस बारे में भी किसी को कोई जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने ही पिछले दिनों देश की इस बदहाली की वजह राजपक्षे की राजनीतिक पार्टी का चीन के प्रति झुकाव बताया था। उनका कहना था कि श्रीलंका चीन के साथ करीबी संबंध बनाए रखने के चक्कर में इसमें उलझ गया है। उनकी निगाह में इसके तीन रणनीति कारण हैं।