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5 रुपये में मिलने वाले तिरंगे झंडे से बची जिंदगी… यूक्रेन से लौटी बेटियों ने बताया कैसी है विदेशों में भारत की साख

आगरा. रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia-Ukraine War) में भारत के हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे हैं. ऐसे में भारत सरकार द्वारा सभी छात्रों को यूक्रेन से वापस लाने के लिए आपरेशन गंगा (Operation Ganga) की शुरुआत की गई है, जिंसमे अभी तक कई छात्र-छात्राओं की घर वापसी हो गई है. ताज नगरी आगरा (Agra) की दो छात्राएं भी यूक्रेन से लौटी हैं. उन्होंने बताया कि किस तरह से भारत ने विदेश में अपने झंडे गाड़े हैं.

एक छात्रा ने बताया कि युद्ध के बीच वहां मारपीट और लूटपाट भी हो रही है. लेकिन 26 जनवरी और 15 अगस्त को मिलने वाले पांच रुपये के तिरंगे झंडे की अहमियत यूक्रेन में समझ में आई. हमारे गाड़ी पर इंडिया का झंडा था, जिसे देखकर हमारे साथ कुछ भी नहीं हुआ और हमारी जान बची.

दयालबाग की रहने वाली साक्षी सिकरवार ने बताया कि वह तीन महीने पहले ही यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई के लिए गई थी. युद्ध छिड़ने के बाद हमारी यूनिवर्सिटी के कुछ बच्चे पोलैंड बॉर्डर तक गए. वहां पर इंडियन के साथ ही सभी देशों के लोगो के साथ मारपीट और लूटपाट की जा रही थी. लेकिन जिस झंडे को हम 26 जनवरी या फिर 15 अगस्त पर पांच रुपए का खरीदते है और फिर फेक देते है, उसी झंडे की वजह से आज हम जिंदा है, और अपने घरों पर है. हमारी बसों पर इंडिया का झंडा लगा दिया गया था. झंडा देखने के बाद किसी ने हमे नही रोका और आसानी से हमने बॉर्डर पार किया। यही कारण है कि हमारे देश ने विदेश तक मे झंडे गाड़ दिए है.

प्रधानमंत्री के द्वारा मिली दूसरी ज़िंदगी

आगरा के शास्त्रीपुरम की रहने वाली श्रेया सिंह 2018 में यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई के लिए गई थी. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के कारण वह भी यूक्रेन में फंस गई. श्रेया ने बताया कि जब हम यूक्रेन में थे तब सबसे पहले News 18 ने हमारी आवाज़ को उठाया था, और सबसे पहके यूक्रेन से हमारा लाइव टेलीकास्ट करके हमारी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाई थी. श्रेया सिंह ने बताया कि यूक्रेन में हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे है. कभी भी वहां पर खाने-पीने की कमी हो सकती है. हर रोज़ हमारी यूनिवर्सिटी के ऊपर से रूस के फाइटर प्लेन गुजरते थे.

हम रात में होस्टल के अंदर सोते नहीं थे. यूनिवर्सिटी के द्वारा आदेश दिया गया। , कभी भी अगर यूनिवर्सिटी से सिग्नल मिले तो सभी स्टूडेंट जैसी हालात में हो तुरंत हॉस्टल से बाहर निकल जाए। सोचते थे आज की रात हम सबकी आखरी रात हो सकती है. फिर भारत के राजदूत के द्वारा आदेश दिया गया कि सभी इंडियन स्टूडेंट अपना सामान पैक कर लें. फिर रविवार को हमें यूनिवर्सिटी से बस द्वारा रोमानिया बॉर्डर तक ले जाया गया. रोमानिया बॉर्डर से 30 किलोमीटर बहुत बड़ा जाम लगा हुआ था, जिसके कारण हमें पैदल बॉर्डर पार करना पड़ा.

बॉर्डर पार मिली पंचसितारा होटल जैसी की सुविधा

श्रेया ने बताया कि जब हम लोगों ने बोर्ड पार कर लिया, उसके बाद हमें फाइव स्टार होटल की तरह सुविधा भारत के राजदूत द्वारा दी गई. जिन स्टूडेंट की फ्लाइट देरी से थी उनको रोमानिया में पंचसितारा होटल में रुकया गया. रोमानिया एयरपोर्ट से लेकर दिल्ली तक खाने-पीने का पूरी तरह से ध्यान रखा गया.

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