सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के अरमानों पर इमरान ने फेरा पानी, अस्थिरता बढ़ी तो हो सकता है तख्तापलट, जानें एक्सपर्ट व्यू
इस्लामाबाद (Agency)। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद भंग करने की पहल करके और अपने बयानोंं से सेना प्रमुख के अरमानों पर पानी फेर दिया है। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि इमरान खान ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की दो प्राथमिकताओं को धराशाई करने का काम किया है। इनमें पाक को एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर निकालना और तालिबान शासन को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाना शामिल था। आइए जानें रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा और संजीव श्रीवास्तव (Sanjeev Srivastava) ने क्या बातें कही…
कमर आगा ने कहा कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा चाहते थे कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट से बाहर लाया जाए। साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दिलाई जाए। इस वजह से वह अमेरिका के साथ संबंध सुधारना चाहते थे लेकिन इमरान ने इस मंशा पर पानी फेरने का काम किया। आलाम यह है कि सेना भी आवाम का समर्थन खो चुकी है इसलिए इमरान को हटाना ही एकमात्र विकल्प बच गया था।
कमर आगा की मानें तो सेना ने भले ही मौजूदा खींचतान से खुद को अलग रखने की बात कही हो लेकिन वह इमरान से नाखुश है। इमरान खान ने खुद को सत्ता से हटाए जाने के पीछे अमेरिका का नाम लेकर बड़ी गड़बड़ी कर दी क्योंकि सेना चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाए रखना चाहती थी। यही वजह है कि इमरान से सेना ने दूरी बना ली। यही नहीं अफगानिस्तान में तालिबान को स्थापित हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं।
वैश्विक स्तर पर एक सरकार के तौर पर तालिबान की सारभौम स्वीकृति भी बाकी है। ऐसे में इमरान की ओर से संसद भंग करने की पहल ने बड़ा उलटफेर कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि देश का संविधान खतरे में है। वहीं समाचार एजेंसी रायटर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इमरान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) के इस कदम और विपक्ष की मोर्चेबंदी से पाकिस्तान में अनिश्चितता का नया दौर शुरू हो गया है। ऐसे में नजरें पाकिस्तान की सेना और आइएसआइ पर हैं।
एक अन्य रक्षा विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव (Defence Expert Sanjeev Srivastava) ने कहा कि पाकिस्तान का असल शासक वहां की सेना है। पाकिस्तान की सियासत में आईएसआई की दखल से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में यदि पाकिस्तान में राजनीतिक या संविधानिक अस्थिरता गहराती है तो पाकिस्तान की सेना और ISI शासन को अपने हाथ में भी ले सकती हैं। यानी पाकिस्तान में एक और तख्तापलट की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।