▶️देखें वीडियो! हरे पेड़ों पर आरा चलाने वन माफियाओं के आगे नतमस्तक है पुलिस प्रशासन और वन विभाग
👉वन रेंजर से लेकर डीएफओ तक काट रहे मलाई-सूत्र
👉टरकाने वाला जवाब देते हैं डीएफओ
👉स्थानीय प्रशासन की चांदी ही चांदी
👉जनता में स्थानीय पुलिस प्रशासन की हो रही छीछालेदर
👉सरकार की मंशा पर पानी फेरने में वन विभाग और पुलिस प्रशासन भी अछूता नहीं
बसखारी अंबेडकर- बसखारी थाना क्षेत्र अंतर्गत विगत वर्षों से हरियाली पर आरा चलाने का सिलसिला जारी है किंतु वन विभाग से लेकर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से मौन धारण कर बैठी है मानो कि अपनी आंखों से देख ही न रही हो न कानों से सुनती और ना मुंह से बोलती हो और ना ही कार्रवाई के लिए कभी कदम बढाती हो। बसखारी थाना क्षेत्र अंतर्गत मकोईयां ग्राम सभा में हरे पेड़ों पर आरा चलाने का मामला कई बार प्रकाश में आ चुका है किंतु उसके बावजूद इन वन माफियाओं के चेहरे पर जरा सा भी सिकन नहीं और ना ही दिल में कोई डर और दहशत है।
सूत्र बताते हैं कि अख्तर खान निवासी मकोईया और कृष्ण कुमार दुबे उर्फ सोनी निवासी सरूहुरपुर यह दोनों वन माफिया पिछले कई वर्षों से अपने अवैध कारोबार में सक्रिय हैं। किन्तु इन पर नकेल कसने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है।
पिछले एक सप्ताह से लगातार हरे पेड़ों पर बेतहाशा आरा चलाया जा रहा है । मोटी रकम के चक्कर में यह वन माफिया हरे पेड़ों को बेतहाशा काट रहे हैं पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं जो इंसान जीव जंतु धरती के प्राणियों को जीवन प्रदान करती है।
जबकि देश वैश्विक महामारी से जूझ रहा है किंतु इन वन माफियाओं को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वही मलाई काटने में बसखारी पुलिस भी पीछे नहीं हैं और वन विभाग के अधिकारी चाहे वन रैंजर हो या फिर डीएफओ (डिस्टिक फॉरेस्ट ऑफीसर) इन सभी को किसी प्रकार से कोई परवाह नहीं है। अपने कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वाह करना भूल चुके हैं इनकी तैनाती किस लिए हुई है शायद यह भूल चुके हैं। मोटी रकम के मोह में अपने कर्तव्य-निष्ठा को ताक पर रख चुके हैं। क्षेत्रवासियों में इन दोनों वन माफिया का डर और दहशत है विरोध करने वालों के साथ गुंडई पर उतारू हो जाते हैं और खुले शब्दों में कहते हैं वन विभाग और पुलिस प्रशासन उनकी जेब में रहती है ।
आखिरकार उत्तर प्रदेश की सरकार एक तरफ गुंडा माफियाओं को सलाखों के पीछे भेजने का काम कर रही हो तो ही बसखारी थाना क्षेत्र में इन दोनो वन माफियाओं का मनोबल बढ़ता जा रहा है। संबंधित विभाग और स्थानीय पुलिस प्रशासन का कोई नुमाइंदा नजर नहीं आ रहा है हरियाली पर आरा चलता जा रहा है आखिर कब होगी कार्रवाई इन वन माफियाओं पर और होंगे सलाखों के पीछे जनता को कार्यवाही की बेसब्री से इंतज़ार है। प्रकरण के संबंध में जब डीएफओ से जानकारी करना चाहा तो उन्होंने बताया कि इस तरह से कोई परमिशन पेड़ काटने का नहीं है ठीक है देखते हैं और फिर फोन काट दिया यही मक्खन मलाई और टरकाने वाले बातें बीते समय में हो रहे पेड़ खटाना के प्रकरण में भी ऐसे ही बयानबाजी कर पल्ला झाड़ लिया था जिसका नतीजा वन माफियाओं का मनोबल दिन-के- दिन बढ़ता जा रहा है