रेल विभाग में पास और भ्रष्टाचार को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश, चुनाव में पड़ सकता है विपरीत असर
मुख्य हित निरीक्षक राजेश महाजन बने एक पूर्व अधिकारी के कमाऊ पूत, इन मामलों को लेकर चुनाव में पड़ सकता है विपरीत असर
ओ. पी. सिंह वैस
लखनऊ / जहां केन्द्र सरकार विधान सभा के चुनाव में पूरी दम खम के साथ चुनाव प्रचार प्रसार में लगी हुई है और अपने पांच वर्षो का लेखा जोखा जनता को बता रही है तो वहीं एक ऐसा मुददा रेलवे विभाग में है जो विधान सभा चुनाव में सरकार के सारे मेहनत पर पलीता लगा दिखाई दे रहा है और हो रहे विधान सभा के चुनावों में सरकार
को इसका खामियाजा भुगतना पङ सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार रेलवे विभाग में कार्यरत एवं रिटायर रेल कर्मियों के लिए एक नियम पुराने कार्यकाल से बना हुआ था जिसमें ये कर्मी अपने पास पर पूरे भारत में कहीं भी यात्रा कर सकते थे बशर्ते उनको आरक्षण करवाना होता था भाजपा सरकार ने करोना काल में एक नियम बना दिया कि रेलवे कर्मियों को अब एक निर्धारित कोटा के तहत ही सभी ट्रेनों में सीट मिलेगी। और सीटें खाली भी रहेंगी तो गंतव्य स्टेशन तक खाली जायेगी लेकिन रेल पास धारक को सीट उपलब्ध नहीं होगा।
और दूसरी तरफ सरकार भ्रष्टाचार को ले कर जीरो टायलेंट की बात करती है तो लखनऊ मंडल कार्यालय में खुलेआम भ्रष्टाचार का अंबार लगा हुआ है और कुछ तथा कथित अधिकारी दोनों हाथों से लडडू खा रहे हैं।
रेलवे के एक अधिकृत सूत्र ने दूरभाष पर बताया कि डी आर एम आफिस में तैनात मुख्य हित निरीक्षक राजेश महाजन है जिसके खिलाफ ढाई माह से जांच चल रही है लेकिन यूनियन का पदाधिकारी होने के कारण बङौदा हाऊस के कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी द्धारा नेता जी के कहने पर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
यह वही मुख्य हित निरीक्षक है जो मृतक आश्रित कोटा में एक अधिकारी के नाम पर लाखों रुपये की धन उगाही करता है इस का कार्य बदस्तूर जारी है। राजेश महाजन कार्मिक विभाग के एक पूर्व अधिकारी का कमाऊं पूत साबित हो चुका है और इसने करोङो की संपत्ति विभिन्न शहरों में अर्जित किया है।
जानकार रेलवे जनमानस में इस प्रकरण को लेकर काफी आक्रोश देखा जा रहा है जब कि नेता जी कर्मचारियों को सब्जबाग दिखाकर भाजपा का प्रचार करने में लगे हैं। भाजपा को इस विधान सभा चुनाव में नुकसान होने का अंदेशा दिखाई दे रहा है।