Uttar Pradesh

यूपी चुनाव : कहानियों सरीखी हैं विधानसभा की ये सीटें , बाप के सामने बाप तो बेटे के सामने बेटा चुनाव मैदान में

लखनऊ : बाप के सामने बाप तो बेटे के सामने बेटा… एक तरफ बाप तो दूसरी तरफ बेटे को दावेदारी छोड़नी पड़ी… कहानियों सरीखी है यूपी के विधानसभा चुनाव की कुछ सीटें। इस तरह के संयोग कम ही होते हैं लेकिन 2022 के चुनाव में ये सारे संयोग एक साथ हो रहे हैं। रामपुर में दो सीटें ऐसी हैं जहां बाप और बेटे के सामने दूसरे बाप-बेटे की जोड़ी है।

वहीं पूर्वांचल की एक सीट पर बाप के उतरने के कारण सामने खड़े बेटे को मैदान छोड़ना पड़ा। कांग्रेस के गढ़ में एक सीट ऐसी भी जहां एक राजा की दोनों रानियां एक ही पार्टी से टिकट की दावेदारी ठोंक रही हैं।

रामपुर में नवाब खानदान से सपा नेता आजम खां की दुश्मनी नई नहीं है। आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां की याचिका पर गई थी। अब्दुल्ला स्वार सीट से चुने गए थे लेकिन 25 वर्ष से कम उम्र का होने पर उनकी विधायकी रद्द हो गई थी। अब रामपुर सीट से आजम खां के मुकाबिल खुद नवाब काजिम अली खां कांग्रेस के टिकट पर उतरे हैं।

वहीं स्वार की सीट से नावेद मियां के बेटे हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां उतरे हैं और उनके सामने आजम खां के बेटे अब्दुल्ला खां ने मोर्चा संभाला है। हालांकि हमजा मियां ने कांग्रेस का टिकट ठुकराते हुए अपना दल (सो) के झण्डे तले उतरने का फैसला किया है। यह देखने वाला होगा कि नावेद मियां जहां भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे वहीं उनके बेटे उसी के सहयोगी दल के साथ चुनाव में उतर रहे हैं।

आजमगढ़ की फूलपुर पंवई सीट से लगभग दो दशक बाद कमल खिलाकर विधानसभा में पहुंचे विधायक अरुणकांत यादव का टिकट पक्का था। लेकिन उनके सामने उनके ही पिता व पूर्व सांसद रमाकांत यादव को समाजवादी पार्टी ने मैदान में उतार दिया। पिता-पुत्र के टकराव की स्थिति से बचने के लिए मजबूरन भाजपा को रणनीति बदलनी पड़ी।

अब रमाकांत यादव ने चुनाव न लड़ने का ऐलान करते हुए एमएलसी चुनाव में जाने में फैसला किया है। अमेठी सीट से भी भाजपा ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं लेकिन यहां के राजा संजय सिंह की दोनों रानियां टिकट की दावेदारी ठोंक रही हैं।

गरिमा सिंह यहां से मौजूदा विधायक हैं, वहीं कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुई अमिता सिंह भी यहीं से चुनाव लड़ना चाह रही हैं। ऐसे में भाजपा के निर्णय पर निगाहे टिकी हैं। कुछ यही हाल बिधूना सीट का है। विधायक विनय शाक्य सपाई क्या हुए, भाजपा ने उनकी बेटी को ही चुनाव मैदान में उतार दिया। अब उनके पिता को बेटी के खिलाफ प्रचार करते देखना दिलचस्प होगा।

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