टिकट कटने के डर से भाजपा छोड़ गए स्वामी और उनके समर्थक! पहले से थे नाराज; योगी का नेतृत्व नहीं था मंजूर
लखनऊ : योगी सरकार में श्रम मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर बताया है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अब सपा में शामिल हो गए हैं। मौर्य के इस्तीफे के तुरंत बाद उनके कुछ अन्य समर्थक विधायकों ने भी बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर दिया।
इन नेताओं के इस्तीफे की खबरें भले ही अचानक आईं हों, लेकिन इन नेताओं की नाराजगी को लेकर संकेत पहले ही मिल चुके थे। बीजेपी से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना है कि मौर्य योगी की कप्तानी को चुनौती दे चुके थे और इस वजह से उनका टिकट कट सकता था या फिर बीजेपी के दोबारा सत्ता में आने के बाद उन्हें साइडलाइन किए जाने का डर सता रहा था।
योगी का सीएम रहना नहीं था पसंद?
माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य योगी के नेतृत्व से खुश नहीं थे। पिछले साल उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह कह दिया था कि चुनाव के बाद तय होगा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। स्वामी प्रसाद ने जून 2021 में मीडिया से बात करते हुए कहा, ”चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का फैसला केंद्रीय समिति की ओर से लिया जाएगा।” इसके बाद ही अटकलें लगने लगी थीं कि योगी के चेहरे पर चुनाव लड़ने को लेकर बीजेपी में फूट है।
पीएम ने कंधे पर हाथ रख दिया था संदेश
यूपी बीजेपी में मतभेद की खबरें इस तरह सुर्खियों में आईं कि पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई अवसरों पर संकेत देना पड़ा कि पार्टी योगी के साथ खड़ी है और चुनाव योगी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंधे पर हाथ रखकर विमर्श करते पीएम मोदी की तस्वीरों ने पार्टी में योगी के विरोधियों को साफ संदेश दे दिया था कि या तो उन्हें योगी के नेतृत्व को स्वीकार करना होगा या उनके लिए दरवाजे खुले हैं।
स्वामी के समर्थकों का कट सकता था टिकट: सूत्र
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि जिस तरह स्वामी प्रसाद मौर्य ने योगी के खिलाफ मोर्चा खोला था उससे यह तय हो गया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थकों को किनारे लगाया जा सकता है। मौर्य के बाद बीजेपी छोड़ने वाले विधायक रोशन लाल वर्मा ने पिछले दिनों अपनी सरकार की आलोचना की थी।
पिछले साल अक्टूबर में कानपुर में एक दलित की हत्या के बाद बिल्हौर से विधायक भगवती सागर ने पुलिस पर आरोप लगाकर अपनी सरकार को असहज किया था। कानपुर के कुख्यात विकास दुबे ने भी कथित तौर पर एसटीएफ की पूछताछ के दौरान उनका नाम लिया था।