गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा सीट पर 3 तिवारी प्रत्याशी, भाजपा, बसपा और सपा ने लगाया दाव!
हिन्दमोर्चा न्यूज़ गोरखपुर!
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जाति कार्ड बहुत मायने रखता है, तभी तो सभी पार्टियां जाति के आधार पर प्रत्याशी उतार रही हैं। इसी में एक सीट ऐसी भी है, जहां पर सपा, बसपा और भाजपा ने ब्राह्मण चेहरों पर दांव लगाया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत का समीकरण सेट करने में सभी पार्टियां जुट गई हैं। ऐसे में गोरखपुर की चिल्लूपार विधानसभा जहां पर पिछले तीन चुनाव से बसपा का कब्जा है। उस सीट पर भाजपा, सपा और बसपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सभी पार्टियों ने अपने हिसाब से सर्वे कर अच्छा कैंडिडेट ही उतारा है।
इस सीट पर एक साथ तीन तिवारी प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। अब कौन तिवारी भारी पड़ेगा, इसका फैसला यहां की जनता करेगी। वहीं, कई अन्य दलों से भी बड़े दिग्गज चिल्लूपार सीट पर आ सकते हैं, जिनके नाम की चर्चा भी हो रही है।
बसपा मुखिया ने चिल्लूपार से डॉ. विजयानंद तिवारी (Vijayanand Tiwari) को प्रभारी प्रत्याशी बनाया है। सपा ने बाहुबली पं. हरिशंकर तिवारी के बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी को टिकट देकर पूर्वांचल में ब्राह्मण समीकरण सेट किया है, जबकि साल 2017 में भाजपा से लड़ते हुए हार का सामना करने वाले राजेश त्रिपाठी पर पार्टी ने एक बार फिर दांव लगाया है।
चिल्लूपार से बसपा को मिलती है जीत!
पिछले तीन विधानसभा चुनाव पर अगर गौर किया जाए तो बसपा से प्रत्याशी जरूर बदले, लेकिन सीट हर बार मायावती की झोली में ही आई। यहां लगातार दो चुनाव साल 2007 और 2012 में बसपा से लड़ते हुए राजेश तिवारी विधायक बने। इसके बाद इस सीट पर साल 2017 चुनाव में बाहुबली के बेटे विनय शंकर तिवारी को बसपा ने अपना कैंडिडेट बनाया। इस बार भी बसपा को जीत मिली। भाजपा से लड़ते दो बार के विधायक राजेश त्रिपाठी 2017 में दूसरे नंबर पर रहे थे।
चिल्लूपार से इसलिए भी देते हैं तिवारी को टिकट!
चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र के चुनाव का इतिहास खंगालने पर बाहुबली हरिशंकर तिवारी का नाम बार-बार उभरकर सामने आता है। हरिशंकर तिवारी इस सीट से लगातार 22 वर्षों (1985 से 2007) तक विधायक रहे हैं। पहला चुनाव 1985 में निर्दलीय लड़ा था, फिर अलग-अलग राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीतते रहे हैं।
तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते व यूपी सरकार में मंत्री भी बने थे। हरिशंकर तिवारी की वजह से ही आज वर्तमान में सभी पार्टियां ब्राह्मण कैंडिडेट को ही यहां से उतारना चाहती है। इस बार सपा, भाजपा और बसपा तीनों ने ही तिवारी कैंडिडेट को चुनाव मैदान में उतारा है। इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
चिल्लूपार से अब तक चुने गए विधायक!
2017: बसपा से विनय शंकर तिवारी (अब सपा में चले गए)।
2012: बसपा से राजेश त्रिपाठी
2007: बसपा से राजेश त्रिपाठी
2002: एबीएलटीसी से हरिशंकर तिवारी
1996: एआईआईसी (टी) से हरिशंकर तिवारी
1993: कांग्रेस से हरिशंकर तिवारी
1991: कांग्रेस से हरिशंकर तिवारी
1989: कांग्रेस से हरिशंकर तिवारी
1985: निर्दलीय हरिशंकर तिवारी
1980: आईएनसी (आई) से भृगुनाथ
1977: जेएनपी से कल्पनाथ सिंह।
1974: कांग्रेस से भृगुनाथ
हिन्दमोर्चा टीम गोरखपुर!