क्या मेनका गांधी वाला इतिहास दोहराएगा? Akhilesh Yadav के खिलाफ Aparna Yadav को लेकर BJP का ऐसा है प्लान
लखनऊ: उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Elections 2022) में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है, चुनावी माहौल और दिलचस्प होता जा रहा है. यूपी (UP News) में सरकार बनाने के लिए सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं, इसके साथ ही साथ राजनीति के सभी दांव-पेच का इस्तेमाल भी किया जा रहा है.
बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया तो समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए चुनावी समर में कूद पड़े हैं.
अखिलेश यादव अपनी गढ़ मैनपुरी के करहल सीट (Karhal Seat) से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. हालांकि, बीजेपी उन्हें वॉक ओवर देने के मूड में नहीं है और उनके खिलाफ सशक्त उम्मीदवार उतारना चाहती है.
सूत्रों की मानें तो बीजेपी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav News) के खिलाफ उनके परिवार की ही अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को चुनावी समर में उतार सकती है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को अखिलेश यादव के सामने उतार कर के ना सिर्फ पार्टी अखिलेश यादव को कड़ी टक्कर देना चाहती है, बल्कि इस सीट पर अखिलेश यादव को पॉलिटिकल परसेप्शन की लड़ाई में भी चुनौती देना चाहती है.
अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने के दौरान भी पार्टी के मंच से अखिलेश यादव पर परिवार तक को नहीं संभाल पाने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, अपर्णा यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ सीधा हमला बोलने से बचती रही हैं.
गौरतलब है कि 2017 के चुनाव में भी अपर्णा यादव लखनऊ कैंट से अपनी राजनीतिक किस्मत आजमा चुकी हैं लेकिन यहां पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन अगर अखिलेश के खिलाफ सच में अपर्णा चुनावी मैदान में उतरती हैं तो यूपी में 38 साल पुराना इतिहास दोहरा दिया जाएगा, जब राजीव गांधी के खिलाफ मेनका गांधी चुनाव में उतरी थीं.
राजीव गांधी के खिलाफ भी मेनका गांधी लड़ चुकी हैं चुनाव
अगर हम उत्तर प्रदेश के चुनावी समर को देखें तो इसमें पहले भी बड़े परिवार के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. बीजेपी सांसद और इंदिरा गांधी की बहू मेनका गांधी अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ 1984 में संजय विचार मंच पार्टी से चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि, उस चुनाव में मेनका को हार का सामना करना पड़ा लेकिन उनकी सभाओं में भीड़ काफी जुटती थी.
दरअसल, 1980 में विमान हादसे में संजय गांधी की मौत के बाद अमेठी में हुए उपचुनाव में इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को चुनाव में उतारने का फैसला किया था और उनके खिलाफ विपक्ष ने शरद यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था. लेकिन 1984 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राजीव गांधी के खिलाफ मेनका गांधी ने चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. गौरतलब है कि मेनका गांधी अपने पति संजय गांधी के साथ अमेठी लोकसभा क्षेत्र में काफी सक्रिय रहती थीं.