उत्तर प्रदेश सरकार के बजट को मायावती ने बताया धूल झोंकने वाला तो अखिलेश बोले-बजट नहीं, बंटवारा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने विधान मंडल के बजट सत्र में गुरुवार को अपना बजट पेश किया। इस बजट पर विपक्षी दलों ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट को बसपा मुखिया मायावती ने आंख में धूल झोंकने वाला बताया है तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसको बंटवारा बताया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया।
योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट छह लाख 15 हजार 518 करोड़ रुपया का है।योगी आदित्यनाथ सरकार का बजट घोषित होने के थोड़ी देर बाद ही बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया दी।
मायावती ने बजट को लेकर दो ट्वीट किया। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का बजट प्रथम दृष्टया वही घिसापिटा व अविश्वनीय है।
यह बजट तो जनहित एवं जनकल्याण में भी खासकर प्रदेश में छाई हुई गरीबी, बेरोजगारी व गड्ढायुक्त बदहाल स्थिति के मामले में अंधे कुएं जैसा है। जिससे यहां के लोगों के दरिद्र जीवन से मुक्ति की संभावना लगातार क्षीण होती जा रही है।
बसपा मुखिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश के करोड़ों लोगों के जीवन में थोड़े अच्छे दिन लाने के लिए कथित डबल इंजन की सरकार द्वारा जो बुनियादी कार्य प्राथमिकता के आधार पर होने चाहिए थे, वे कहां किए गए।
यह तो स्पष्टत:
नीयत का अभाव है तो फिर वैसी नीति कहाँ से बनेगी। उन्होंने कहा कि इस सरकार का जनता की आँख में धूल झोंकने का खेल आखिर कब तक चलेगा।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बजट पेश होने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार का हमेशा ही दावा रहा है कि किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी। मगर अब तक ऐसा नहीं हो सका है।
उन्होंने रोजगार के मुद्दे पर भी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि घोषणाओं में तो नौकरी के तमाम दावे किए जाते हैं मगर हकीकत में ऐसा कहीं नहीं दिखाई देता है। वहीं, उन्होंने बजट पर सवाल उठाते हुए कहा कि बच्चों की पढ़ाई के लिए कोई घोषणा नहीं की गई है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी बजट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया ट्वीट की। अखिलेश यादव ने कहा कि इस सरकार का कहने को यह बजट छठा है, पर इसमें कुछ बढ़ा नहीं, सब कुछ घटा है। इसमें जनपक्ष नदारद, बस सरकारी विभागों का वारा-न्यारा है दरअसल यह बजट नहीं बंटवारा है।