UP News: कासगंज मामले में HC ने लगाई फटकार तो 3 माह बाद कब्र से निकाला गया शव, जानें अब क्या होगा
कासगंज: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh News) के कासगंज (Kasganj News) में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत मामले में तीन माह बाद कब्र से शव निकाला गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी के कासगंज में बीते 3 महीने पूर्व 22 साल के अल्ताफ (Altaf) नाम के एक युवक की हिरासत में हुई मौत मामले में सख्त रुख अपनाते हुए दोबारा पोस्टमार्टम करने का आदेश जारी किया था. कोर्ट ने कहा था कि इसके लिए कब्र से शव निकाला जाए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इसी आदेश के बाद आज यानी मंगलवार को अल्ताफ का शव कब्र से निकाला गया. इस दौरान न केवल एसपी मौजूद रहे, बल्कि कब्र से शव निकाले जाने की वीडियोग्राफी भी होती रही. इस दौरान कब्रिस्तान की पूरी तरह से बैरिकेडिंग की गई और भारी संख्या में फोर्स की तैनाती रही.
बताया जा रहा है कि एम्स के डॉक्टरों द्वारा शव का पोस्टमॉर्टम किया जाएगा. बता दें कि परिजनों ने पुलिस की कार्रवाई से नाराज होकर हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.दरअसल, पिछले साल 9 नवंबर को कासगंज पुलिस की हिरासत में अल्ताफ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी.
पुलिस ने उसकी मौत को आत्महत्या बताया था. इसके साथ पुलिस ने बताया था कि उसने लॉकअप के टॉयलेट में अपने हुड के नाड़े का गले में फंदा बनाकर तीन फीट ऊंचाई पर स्थित पानी के प्लास्टिक पाइप से लटककर आत्महत्या कर ली थी.
जबकि मृतक के पिता ने पुलिस पर अपने बेटे की हत्या का आरोप लगाया था. हालांकि, मामले का संज्ञान लेते हुए कासगंज एसपी रोहन पी बोत्रे ने संबंधित पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई भी की थी.
हाईकोर्ट ने क्या आदेश दिया था
वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश जारी किया था कि याचिकाकर्ता अपने बेटे की पुलिस हिरासत में मौत के बाद किए गए पोस्टमार्टम से संतुष्ट नहीं है, इसलिए कासगंज पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में मृतक के शव को कब्र से खोदकर तुरंत निकाला जाए.
वहीं, शव निकलने के बाद उसे सील करके अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली ले जाया जाए, जहां निदेशक द्वारा गठित डॉक्टरों की एक टीम की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराया जाए. कब्र से शव निकालने से लेकर पोस्टमार्टम की पूरी प्रक्रिया की हाई रेजुलेशन फोटो और वीडियोग्राफी करके उसे संरक्षित कर एक प्रति न्यायालय में प्रस्तुत की जाए. इसके साथ हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को आदेश जारी होने के दिन से अगले 10 दिनों की अवधि में पूरा कर लिया जाए.