UP Elections: पढ़िये उस ‘अपशकुनी’ के बारे में, जिसकी वजह से 10 साल तक नोएडा आने से डरते रहे अखिलेश यादव
नोएडा, । 21वीं सदी में भी लोग अपशकुनी को मानत हैं यह बेहद दुखद है। अगर पढ़ा-लिखा और मुख्यमंत्री पद पर रह चुका शख्स इस तरह की बातें करें तो यह और भी हास्यास्पद लगती है। यहां पर हम बात कर रहे हैं नोएडा शहर को अपशुकनी के बारे में। हद तो यह है कि पढ़े लिखे समाजवादी पार्टी के मुखिया और सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव लगातार 5 साल तक इस बात को दोहराते रहे कि नोएडा अपशकुनी है।
नोए़डा के बारे में मिथक है जो भी यहां पर जाता है उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती है। यही वजह थी कि अखिलेश यादव वर्ष 2012 में सीएम पद पर बैठने के बाद लगातार 10 साल तक नोएडा नहीं आए, हालांकि, मिथक (अपशकुनी) यह है कि जो वर्तमान मुख्यमंत्री नोएडा आता है, उसकी सीएम की कुर्सी चली जाती है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पनौती में विश्वास करते हैं, इसके कई बार आलोचना भी हो चुकी है। पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक अखिलेश यादव की आलोचना भी कर चुके हैं।
ऐसे हुई शुरुआत, 1988 में ‘अपशकुनी’ बना नोएडा !
1988 में नोएडा आने के बाद मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह चुनाव हार गए। इसके बाद नरायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव की कुर्सी भी नोएडा आने के बाद चली गई। इसके बाद नोएडा अशकुनी बन गया। वर्ष 2007 में मुख्यंमत्री बनने के बाद मायावती ने अपशकुनी को तोड़ने की कोशिश की।
उन्होंने पांच साल के कार्यकाल में नोएडा का तीन बार दौरा किया। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री रहने के दौरान ही मायावती ने दिसंबर 2011 में दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन तक किया, लेकिन 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा चुनाव हारकर सत्ता से बेदखल हो गई। इससे भी पहले 1999 में मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान कल्याण सिंह नोएडा आए थे, फिर उनकी भी कुर्सी चली गई।
इससे भी पहले 1997 में मायावती नोएडा और उनकी सरकार गिर गई। 2007 में मायावती मुख्यमंत्री बनीं तो फिर नोएडा आईं और 2012 में उनकी पार्टी हार गई। इस मामले में अखिलेश यादव एक मात्र यूपी के नेता हैं, जो नोएडा नहीं आए फिर भी उनकी कुर्सी चली गई। कुलमिलाकर अपशकुनी वाला फितुर कुछ नहीं है।
सीएम बनने के 6 माह के भीतर ही नोएडा आए योगी
वहीं, योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के 6 माह के भीतर ही नोएडा आए और उसके बाद तो कई बार नोएडा का दौरा किया। अब तक वह दर्जन भर से अधिक बार नोएडा आ चुके हैं। वहीं, अखिलेश यादव तो नोएडा को लेकर इतना डर गए थे कि वे अपने सीएम आवास से ही नोएडा के विकास कार्यक्रमों का शिलान्यास और लोकार्पण करते रहे। अब जाकर बृहस्पतिवार को वह नोएडा आए और पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार किया।