UP Election 2022: भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला, दूसरे खेमों में भाग रहे नेताओं को बचाने में जुटीं विपक्षी पार्टियां
लखनऊ । विधानसभा चुनाव 2017 की तरह कमल की सुनामी फिर लाने के लिए भाजपा प्रत्याशियों ने जनसंपर्क तेज कर दिया है। वहीं, समाजवादी पार्टी सहित दूसरी विपक्षी पार्टियां टिकट वितरण से नाराज दूसरे खेमों में भाग रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को संभालने में लगी हैं। नामांकन प्रक्रिया के बाद अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के किले में सेंध से पहले विपक्षी पार्टियों अंदरखाने चल रही उठापटक से पार पाकर लड़ाई के लिए कितना तैयार हो पाती हैं।
गत चुनाव में भाजपा ने नौ में से आठ सीटें जीती थीं। चुनाव से पहले भाजपा के लिए भी सबसे मुश्किल चुनौती सीटों पर टिकट वितरण को लेकर थी। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चाएं जोरों पर थीं कि टिकट मनमाफिक नहीं हुए तो कई सीटों पर भाजपा को भितरघात का सामना कर पड़ सकता है, मगर टिकटों की घोषणा हुई तो अटकलों पर विराम लग गया।
सरोजनीनगर सीट पर मंत्री स्वाती और उनके पति भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर के बीच टिकट को लेकर जोर आजमाइश को भी संगठन ने कुशल प्रबंधन से निपटाया और पूर्व आइपीएस राजेश्वर सिंह को खड़ा कर दिया।
इसी तरह कैंट सीट पर सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक और विधायक सुरेश तिवारी की दावेदारी के बीच कानून मंत्री ब्रजेश पाठक को उम्मीदवार बनाकर चर्चाओं पर विराम लगा दिया। भाजपा ने पांच नए प्रत्याशी उतारे, लेकिन कहीं विरोध नजर नहीं आया।
वहीं, दूसरी ओर सपा और कांग्रेस में टिकट को लेकर पार्टी छोड़ने और दबाव की राजनीति जारी है। सरोजनीनगर की हाईप्रोफाइल सीट पर अब तक सपा के दो बड़े नेता भाजपाई बन चुके हैं।
मोहनलालगंज सीट पर मौजूदा विधायक अम्ब्रीश पुष्कर को टिकट देकर बैठाना भी चर्चा में है।
यहां से सुशीला सरोज को सपा ने प्रत्याशी बनाया है, जिनको पहले मलिहाबाद सुरक्षित सीट से उतारा जा रहा था। अम्ब्रीश ने अपना नाम वापस ले लिया है, लेकिन संगठन उनको कितना संतुष्ट कर पाया है, यह आगे चुनाव में देखने वाला होगा। लखनऊ पश्चिम सीट से सपा ने अरमान खान को प्रत्याशी बनाया, जिसे लेकर पूर्व विधायक रेहान खान सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
ग्रामीण क्षेत्र की एक और सीट बख्शी का तालाब में भी सपा अपने दो दिग्गज नेताओं के बीच सुलह कराने में व्यस्त है। सपा ने यहां से पूर्व विधायक गोमती यादव को उतारा तो पूर्व विधायक राजेंद्र यादव ने भी निर्दलीय पर्चा भरकर नाराजगी जता दी। उत्तर सीट पर पूजा शुक्ला के टिकट को लेकर भी अंतिम समय तक घमासान मचा रहा।
उत्तर से पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र की दावेदारी के बीच पूजा को प्रत्याशी बनाने का फैसला खुद सपा के लोगों को गले नहीं उतरा। शीर्ष नेतृत्व तक इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की गई। अब देखना होगा कि राजनीति की युवा खिलाड़ी को स्थानीय संगठन से कितनी मदद मिलती है।
कांग्रेस में लखनऊ पूर्व में पहले मुकेश सिंह चौहान की दावेदारी को खारिज कर पंकज तिवारी को टिकट दिया गया और फिर अचानक लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी को टिकट दे दिया। लखनऊ महानगर अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव खुद लखनऊ पश्चिम से दावेदारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनको उत्तर से खड़ा करके, वहां शहाना सिद्दीकी को टिकट दिया।