Uttar Pradesh

UP : जुर्माना भरने के लिए बेचना पड़ा मंगलसूत्र, दर्द भरी दास्तां सुन ARTO आरसी भारतीय ने जमा की रकम- उठाया पढ़ाई का खर्चा

महराजगंज। यूं तो हर अधिकारी नियम और कानून में बंध कर दायित्वों का निर्वहन करते हैं, लेकिन नियमों से संतुलन बनाते हुए जब मानवीय संवेदना से अभिभूत होकर कोई काम किया जाता है, तो अवश्य ही वह सुर्खियों का हिस्सा बन जाता है। इसकी मिसाल प्रस्तुत की है महराजगंज के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी आरसी भारतीय ने। गरीबी में सहारा बन ऑटो चालक का न सिर्फ स्वयं चालान जमा किया, बल्कि उसके बेटे विजय की पढ़ाई का खर्चा भी उठाने का जिम्मा लिया है। उन्होंने विजय को अपने पास काम दिया है, जिससे उसे कुछ पारिश्रमिक मिलता रहे।

पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के सिंहपुर ताल्ही निवासी राजकुमार ऑटो चलाकर घर का भरण-पोषण करता है। बीते आठ जून को एआरटीओ ने भईया फरेंदा के पास चेकिंग के दौरान वाहन का चालान कर 24500 रुपये का जुर्माना लगाते हुए आटो थाने में खड़ी करा दिया था। चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का फिटनेश, हाई सिक्योरिटी प्लेट नंबर तथा बीमा नहीं था। थाने में आटो खड़ी होने से घर में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया।

जुर्माना भरने के लिए बेच दिया पत्नी का मंगलसूत्र:

जुर्माना जमा करने के लिए रुपये के इंतजाम में पत्नी गुड़िया देवी के मंगलसूत्र को बेच 13 हजार रुपये प्राप्त किया। इस रुपये को लेकर बेटा विजय एआरटीओ कार्यालय पहुंचा और रोते हुए अपनी व्यथा सुनाई। विजय की पीड़ा सुन एआरटीओ की आंख डबडबा गई। उन्होंने अपनी तरफ से जुर्माना जमा करते हुए वाहन को छोड़ दिया। इसी के साथ पढ़ाई के लिए उसे 17 हजार रुपये दिए और 8800 रुपये खर्च कर ऑटो का कागज भी बनवाया।

एआरटीओ की पहल पर विजय ने दुकानदार को 13 हजार रुपये देकर मां का मंगलसूत्र वापस ले लिया है। मां गुड़िया देवी को मंगलसूत्र हाथ में मिला तो उसकी आंख भर आई। हृदयस्पर्शी यह दृश्य देख बहनों की भी आंख सजल हो गई। गुड़िया ने कहा कि सपने में भी नहीं सोचा था, कि फिर मंगलसूत्र वापस नसीब होगा, लेकिन यह एआरटीओ के प्रयास से ही संभव हो सका।

राजकुमार की पत्नी गुड़िया के साथ बेटी रोशनी, रेनू, अंतिमा, संजना और बेटा विजय रहता है, जबकि दो बहन उमरावती, सोनमती की शादी हो चुकी है। आंख से दिव्यांग राजकुमार जहां आटो के जरिये घर का खर्च चलाता है, वहीं कक्षा नौ तक पढ़ाई करने के बाद विजय मजदूरी कर अपने पिता का हाथ बंटाता है। आर्थिक संकट के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सका है। उसने बताया कि अब फिर से पढ़ाई करेंगे।

सड़क सुरक्षा अभियान का ब्रांड अंबेस्डर बनेगा विजय:

विजय गुरुवार से ही एआरटीओ कार्यालय में अपना काम शुरू कर दिया है। वह हर आने वाले लोगों को पंपलेट वितरित कर यातायात नियमों के प्रति जागरूक कर रहा है। एआरटीओ ने उसे आश्वासन दिया है कि कार्य करते रहे, उसे सड़क सुरक्षा अभियान का ब्रांड अंबेस्डर बनाया जाएगा।

सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी आरसी भारतीय ने बताया कि आटो चालक राजकुमार स्वजन के जीविकोपार्जन के लिए संघर्ष कर रहा है। मंगलसूत्र बेचने की बात सुनकर मुझे काफी दुख हुआ। मानवता को देखते हुए इस तरह का कदम उठाया गया है। विजय को अपने पास काम पर रखा गया है। उसे अपने वेतन से कुछ पारिश्रमिक भी दिया जाएगा, जिससे उसका सहयोग भी हो सके।

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