Gyanvapi Masjid Vivad : मायावती ने ज्ञानवापी विवाद में भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप, बोलीं चुन-चुनकर धार्मिक स्थलों को बना रहे निशाना
लखनऊ, । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की कोर्ट के आदेश पर वीडियोग्राफी और सर्वे का काम पूरा होने के बाद आज बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मायावती ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा चुन-चुनकर धार्मिक स्थलों को निशाना बना रही है। इससे देश का महौल बिगड़ सकता है।
मायावती ने प्रेस नोट ट्वीट करते हुए कहा, ‘देश में निरंतर बढ़ रही गरीबी बेरोजगारी वो आसमान छू रही महंगाई आदि से त्रस्त जनता का ध्यान बांटने के लिए बीजेपी व इनके सहयोगी संगठन चुन-चुनकर व खासकर यहां के धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं। यह किसी से छिपा नहीं है तथा इससे यहां कभी भी हालात बिगड़ सकते हैं।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि, ‘आजादी के बरसों बाद ज्ञानवापी, मथुरा, ताजमहल व अन्य और स्कूलों के मामलों की आड़ में जिस प्रकार से षड्यंत्र के तहत लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया जा रहा है। इससे देश मजबूत नहीं बल्कि कमजोर ही होगा। बीजेपी को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
मायावती ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि विशेषकर एक धर्म समुदाय से जुड़े स्थानों के नाम भी एक-एक करके जो बदले जा रहे हैं। इससे तो अपने देश में शांति, सद्भाव और भाईचारा नहीं, बल्कि आपसी नफरत की भावनाएं पैदा होगी। यह सब अति चिंतनीय है। इन सब से ना तो अपने देश और ना ही यहां की आम जनता का भला हो सकता है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अखिलेश यादव ने भी भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा था कि बीजेपी ये सब जानबूझकर करती है। अखिलेश ने कहा कि ज्ञनवापी बहुत पुरानी मस्जिद है। बीजेपी ये सब जनता का ध्यान भटकाने के लिए कर रही है।
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद विवाद :
ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। इस मस्जिद को लेकर दावा किया जाता है कि इसे मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस ढ़ाचे के नीचे 100 फीट ऊंची विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। पूरा ज्ञानवापी इलाका एक बीघा, नौ बिस्वा और छह धूर में फैला है।
कोर्ट में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2,050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने सन् 1664 में मंदिर को नष्ट कर दिया था। दावा किया गया कि इसके अवशेषों का उपयोग मस्जिद बनाने के लिए किया था, जिसे मंदिर भूमि पर निर्मित ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।
सन् 1585 में राजा टोडरमल ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। वह अकबर के नौ रत्नों में से एक माने जाते हैं, लेकिन 1669 में औरंगजेब के आदेश पर इस मंदिर को पूरी तरह तोड़ दिया गया और वहां पर एक मस्जिद बना दी गई।