यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में योगी सरकार के नौ मंत्रियों की किस्मत दांव पर, जानिए कौन कहां से मैदान में
लखनऊ,। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर पहले चरण का मतदान होना है। पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन हो चुके हैं इन सीटों पर योगी आदित्यनाथ सरकार के नौ मंत्रियों के भाग्य का फैसला होना है। ये उम्मीदवार के रूप में अलग-अलग क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतरे हैं। पांच साल तक इन मंत्रियों ने जनता के लिए कितना काम किया, इसका जवाब तो 10 मार्च को मिल जाएगा।
1. अतुल गर्ग : गाजियाबाद सीट से योगी कैबिनेट के मंत्री अतुल गर्ग चुनावी मैदान में हैं। गाजियाबाद जिले के जिला मुख्यालय की विधानसभा सीट है। पहले चरण में इस सीट पर चुनाव होना है। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट से वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार अतुल गर्ग के सामने बसपा से सुरेश बंसल थे। अतुल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा के सुरेश बंसल को 70505 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था। भाजपा के अतुल को 1 लाख 24 हजार 201 वोट मिले थे। बसपा के सुरेश बंसल 53696 वोट ही हो सके थे।
2. सुरेश राणा : शामली जिले के थाना भवन सीट से भाजपा के प्रत्याशी सुरेश राणा यूपी सरकार में गन्ना मंत्री हैं। सुरेश राणा की गिनती बीजेपी के फायरब्रांड विधायकों में की जाती है। इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार सुरेश राणा 2012 में पहली बार जीत दर्ज करने में सफल हुए थे। इस चुनाव में उन्होंने रालोद के अशरफ अली खान को मात्र 265 वोटों से शिकस्त दी थी।
इसके बाद हुए मुजफ्फरनगर दंगें में विधायक सुरेश राणा का नाम भी आया था। जिन्हें आरोपी भी बनाया गया था, लेकिन 2017 में हुए चुनाव में उन्हें जनता का समर्थन मिला और वह बसपा के अब्दुल वारिश खान से 16 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीतने में सफल रहे। इसके बाद जब बीजेपी की सरकार बनी तो वह आरोप मुक्त हुए साथ ही कैबिनेट मंत्री बनाए गए।
3. श्रीकांत शर्मा : उत्तर प्रदेश सरकार में बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा मथुरा शहर सीट से विधायक हैं। इस बार फिर वह चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने 2017 में कांग्रेस से लगातार तीन बार विधायक रहे प्रदीप माथुर को बड़े अंतर से हराया था। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे श्रीकांत शर्मा पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे।
मथुरा विधानसभा सीट पर 2002 से 2017 तक 15 साल कांग्रेस का कब्जा रहा था, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के श्रीकांत शर्मा ने कांग्रेस से यह सीट छीन कर भाजपा के खाते में डाल दी थी।
श्रीकांत शर्मा को 1 लाख 43 हजार 361 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर इस सीट से तीन बार के विधायक रहे कांग्रेस के प्रदीप माथुर को 42 हजार 200 वोट मिले थे। इस बार के चुनाव की सियासी बिसात बिछ चुकी है। ऐसे में राजनीतिक जानकारों की नजर कृष्ण नगरी मथुरा विधानसभा सीट पर टिकी है।
4. संदीप सिंह : योगी सरकार में राज्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह ने अतरौली विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल किया है। अलीगढ़ जिले की अतरौली विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और उनके परिवार का दबदबा माना जाता है। 2017 के चुनाव में उन्होंने उन्होंने 50,000 से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी।
अब तक इस सीट पर कुल 11 बार कल्याण सिंह और उनके परिवार के सदस्य जीत दर्ज करके विधानसभा पहुंचे हैं। इस विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो पहली बार 1962 में जनसंघ के टिकट पर कल्याण सिंह ने चुनाव लड़ा था।
हालांकि इस चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने फिर कमर कसी और 1967 में जीत दर्ज की, जिसके बाद इस सीट पर उनका दबदबा कायम हो गया।
5. अनिल शर्मा : वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल शर्मा बुलंदशहर जिले की शिकारपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। शिकारपुर विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट से बीजेपी अब तक पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है।
बीजेपी ने एक बार फिर अनिल शर्मा को टिकट दिया है। वर्ष 2017 के चुनाव में अनिल शर्मा विधायक निर्वाचित हुए थे और उन्होंने बसपा के मुकुल उपाध्याय को 50 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी, जिसके बाद अनिल शर्मा योगी आदित्यनाथ की सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए।
6. कपिल देव अग्रवाल : योगी सरकार में मंत्री मुजफ्फरनगर सदर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। वर्ष 2017 में भारतीय जनता पार्टी से कपिल देव अग्रवाल ने समाजवादी पार्टी के गौरव स्वरूप बंसल को 10704 वोटों के मार्जिन से हराया था। कपिलदेव अग्रवाल को 97.838 हजार वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी के गौरव स्वरूप बंसल को 87.137 हजार वोट मिले थे
7. दिनेश खटीक : योगी कैबिनेट में बाढ़ नियंत्रण राज्यमंत्री दिनेश खटीक मेरठ जिले की हस्तिनापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। विधायक दिनेश खटीक मवाना थाना क्षेत्र के कस्बा फलावदा के रहने वाले हैं। इन्होंने सन 2017 में पहली बार भाजपा की ओर से हस्तिनापुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था।
पहली ही बार में दिनेश खटीक ने बसपा प्रत्याशी योगेश वर्मा को पराजित कर जीत हासिल की। दिनेश खटीक शुरू से ही भाजपा में रहे हैं और संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। इनके पिता भी संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। इनके भाई नितिन खटीक जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। जानकारी के अनुसार विधायक दिनेश खटीक का फलावदा में ईंट भट्टे का व्यवसाय है। वर्तमान में वह मेरठ के गंगानगर में रहते हैं।
8. डॉ. जीएस धर्मेश : योगी सरकार में समाज कल्याण राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश चिकित्सा के व्यवसाय से जुड़े हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में आगरा से छावनी सुरक्षित सीट से डॉ.
गिरराज सिंह धर्मेश (डॉ. जीएस. धर्मेश) को मंत्री बनाया गया था। डॉ. जीएस धर्मेश ने आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। वह आगरा-ग्वालियर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपना क्लीनिक भी संचालित करते हैं।
भाजपा विधायक डॉ. धर्मेश के परिवार में तीन बेटे और एक बेटी है। उनका एक बेटा चिकित्सक है। विधायक डॉ. जीएस धर्मेश ने वर्ष 1994 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। इससे पहले वह कांग्रेस पार्टी में थे। 2017 के चुनाव में उन्होंने छावनी विधानसभा सीट से 45,000 वोटों से जीत दर्ज की थी। इसी सीट पर वह 2012 में करीब पांच हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गए थे।
9. चौधरी लक्ष्मी नारायण : योगी सरकार में डेयरी व पशुपालन मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण मथुरा की छाता विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित होने के बाद अपना पर्चा दाखिल कर दिया है। वह इसी सीट से भाजपा के विधायक हैं।
1996 में लक्ष्मी नारायण कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2007 में चौधरी लक्ष्मीनारायण बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे।
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के चौधरी लक्ष्मी नारायण चुनाव जीतकर विधायक बने। वह बसपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं। अलग-अलग पार्टियों से वह चार बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने पूर्व मंत्री ठाकुर तेजपाल के बेटे और निर्दलीय प्रत्याशी अतुल सिंह सिसोदिया को चुनाव में करारी शिकस्त दी थी।