Uttar Pradesh

अजब गजब परम्परा : शादी के बाद सुहागरात पर पाबंदी, पांच साल तक दूल्‍हा सोते हैं बाहर

डॉ. राहुल कुमार, बांका। Unique Wedding: शादियों में आधुनिकता और फैशन का बोलबाला लगातार बढ़ता जा रहा है। आधुनिक समाज में एक तरफ अब बिना लड़का-लड़की मिलन या बातचीत के शादी की बातचीत भी शुरु नहीं होती है। शादी से पहले लड़का-लड़की और उसके सभी पारिवारिक सदस्यों का मिलना-जुलना सामान्य बात है।

अब प्री-वेडिंग समारोह भी खूब होने लगा है। लेकिन, बांका की पांच दर्जन बस्तियों में शादी के पांच साल बाद भी दुल्हा को अपनी दुल्हन से मिलने के लिए तड़पना पड़ता है। दोनों के मिलन पर पूरे समाज की पाबंदी रहती है।

अब मोबाइल आने से कुछ जोड़ा किसी तरह चोरी-छुपे बातचीत भले कर लेते हैं। लेकिन दुल्हन का दुल्हा के साथ रहने की पूरी मनाही बरकरार है। बल्कि शादी की सुबह दुल्हन की दूल्हे के साथ विदाई भी नहीं होती है।

दुल्हन ससुराल और अपने दूल्हे का घर देखने को लंबा इंतजार करती है। इसके लिए उसे कम से कम पांच साल की प्रतीक्षा करनी होती है। पांच यात फिर सात साल बाद द्विरागमन की रस्म पूरी होने के बाद ही दुल्हन दूल्हे के घर आती है। इसके बाद दोनों को साथ रहने की अनुमति होती है। अभी शादी के लगन में गांव भ्रमण में ऐसी परंपरा देख आप हतप्रभ हो जाएंगे।

कुरार, लक्ष्मीपुर, भेलाय, कहराबांध, बाराहाट में चचरा, नयानगरी, झपनियां, लौढिय़ा, लखपुरा, हरिपुर, महुआडीह, बौंसी के समीप ललमटिया, श्यामबाजार, गोविंदपुर आदि गांवों की घर-घर यही कहानी है। चपोता नाम की जाति के परिवारों में इसकी परंपरा चल रही है।

दुल्हन ससुराल और अपने दूल्हे का घर देखने को लंबा इंतजार करती है। इसके लिए उसे कम से कम पांच साल की प्रतीक्षा करनी होती है। पांच यात फिर सात साल बाद द्विरागमन की रस्म पूरी होने के बाद ही दुल्हन दूल्हे के घर आती है। इसके बाद दोनों को साथ रहने की अनुमति होती है।

अभी शादी के लगन में गांव भ्रमण में ऐसी परंपरा देख आप हतप्रभ हो जाएंगे। कुरार, लक्ष्मीपुर, भेलाय, कहराबांध, बाराहाट में चचरा, नयानगरी, झपनियां, लौढिय़ा, लखपुरा, हरिपुर, महुआडीह, बौंसी के समीप ललमटिया, श्यामबाजार, गोविंदपुर आदि गांवों की घर-घर यही कहानी है। चपोता नाम की जाति के परिवारों में इसकी परंपरा चल रही है।

क्या कहते हैं लड़की व लड़के के पिता

चचरा की वार्ड सदस्या शकुंतला देवी, उनके पति गुरु प्रसाद मांझी, पुरुषोत्तम मंडल, अशोक मंडल, मुकेश मंडल कहते हैं कि हमारे समाज में लड़की की शादी अब भी 10 से 12 साल में कर दी जाती है। लड़के की शादी 12 से 16 साल की उम्र में होती है। इसमें देरी करने पर लड़की को ना लड़का मिलेगा ना लड़का को सही उम्र की लड़की मिलती है।

लेकिन, हां शादी के बाद हम लोग बेटी को विदा कर ससुराल नहीं भेजते हैं। पांच से सात बाद जब लड़की की आयु 18 साल पूरी हो जाती है तब लड़की का द्विरागमन करा ससुराल भेजा जाता है। तब तक लड़की पिता के घर में ही रहती है। इस बीच दुल्हा अगर किसी जरूरी काम से कभी ससुराल आ गया तो वह घर के बाहर सोएगा।

उसे घर के अंदर प्रवेश नहीं मिलेगा। वार्ड सदस्य ने बताया कि उसकी शादी खुद 10 साल में हुई थी। अब बेटे की उमर 18 साल हो जाने से इस उमर की लड़की नहीं मिल रही है।

सीताचक में पुलिस ने रोकी ऐसी दो शादी

बाल विवाह पर प्रतिबंध लगा देने के बाद प्रशासन ऐसे विवाह पर सख्ती कर रहा है। धोरैया के सीताचक में इसी 14 मई को मंटू मांझी और धनंजय मांझी अपनी बेटी की शादी के लिए बारात बुला चुका था।

दोनों लड़की के पिता ने बताया कि समाज के नियम के मुताबिक वह लड़की की शादी 15 साल से पहले कर रहा है। लेकिन वह द्विरागमन पांच साल बाद ही करेगा। लेकिन गांव पहुंची प्रशासनिक टीम ने बिना शादी ही बारात को सख्ती दिखाकर गांव से लौटा दिया। शादी रोक दी गई।

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