पहले बाबा, फिर पिता और अब बेटे ने लगाई जीत की हैट्रिक, हरदोई सदर में पहली बार खिला कमल
UP Election Result: भगवान के नसिंृग व बावन अवतार और भक्त पृहलाद की नगरी में हरदोई सदर सीट पर पहली बार कमल खिला है। अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने के बाद जब से लोकतंत्र बना है तब से आज तक यहां भाजपा कभी नहीं जीती। निर्दल उम्मीदवार तक यहां जीत का स्वाद चख चुके हैं लेकिन भाजपा को हमेशा हार का ही मुंह देखना पड़ा।
2017 की प्रचंड मोदी लहर में भी नरेश का किला अभेद्य रहा। हार के इस सिलसिले को जिले के कद्दावर नेता नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल ने इस बार खत्म कर भगवा झंडा यहां भी फहरा दिया। लोकतंत्र की स्थापना के बाद सबसे पहला चुनाव कांग्रेस ने जीता था।
तब किंदरलाल कांग्रेस की टिकट पर लड़कर जीते। सत्तर के दशक के बाद यहां अग्रवाल परिवार ने इंट्री की। 1974 में श्रीषचंद्र अग्रवाल ने पहली मर्तबा विजयश्री पाई। इसके बाद उनके परिवार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1980 में उनके बेटे नरेश अग्रवाल ने सियासी दुनिया में कदम रखते हुए सबको चौंकाते हुए कांग्रेस की टिकट पर जीत दर्ज की थी।
1989 में उन्हें टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय लड़कर जीतकर दिखा दिया कि जनता उनके साथ है। बाबा (श्रीषचंद्र), पिता (नरेश) के बाद तीसरी पीढ़ी में नितिन अग्रवाल जीत के क्रम को आगे बढ़ा रहे हैं। पिता के बाद वह भी जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। 2008 में उप चुनाव, 2012 व 2017 में भी वह जीते थे। अबकी बार चौथी बार जीत हासिल की है।
19 में से 12 चुनाव अग्रवाल परिवार ने जीते
तब से नरेश का सिक्का विधानसभा चुनाव में चल रहा है। अब तक 18 विधानसभा चुनावों में से 12 बार अग्रवाल परिवार जीता है। चार दशक से नरेश व उनके बेटे अब तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं। 7 बार नरेश अग्रवाल व 4 बार नितिन अग्रवाल, जबकि एक बार श्रीषचंद्र अग्रवाल विधायक बने हैं। दल नहीं नरेश के साथ रहती है जनता
हरदोई सीट पर चुनाव नतीजे बताते हैं कि यहां दल नहीं नरेश अग्रवाल के साथ जनता रहती है। कांग्रेस, निर्दल के बाद नरेश दो बार सपा से जीते। उनके बेटे नितिन एक बार बसपा व दो बार सपा से जीते। इस बार वे भाजपा में आए तो भाजपा की टिकट पर जीते।