धर्म बदलकर बेघर हुए जितेंद्र नारायण त्यागी, अब हनुमान सेतु मंदिर की पार्किंग में डाला डेरा
लखनऊ। सआदतगंज यतीमखाने के पास स्थित मकान में पुलिस के द्वारा तालाबंदी करने बाद जितेंद्र नारायण त्यागी ने रविवार देर शाम समर्थकों संग हनुमान सेतु मंदिर की पार्किंग में डेरा डाल दिया। उन्होंने घोषणा की है कि जबतक यतीमखाने के पास बने मकान की चाबी उन्हें नहीं मिल जाती वह पार्किंग में ही रातें गुजारेंगे।
उन्होंने पार्किंग में बिस्तर लगाया और लेट गए। इसके पहले हनुमान सेतु मंदिर में उन्होंने समर्थकों संग दर्शन कर प्रसाद ग्रहण किया था। जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिजवी) ने बताया कि यतीमखाने के पास स्थित मकान में वह वर्ष 2016 से रह रहे थे। यह मकान उन्हें एलाट हुआ था। मकान के निर्माण में उन्होंने करीब 25-30 लाख रुपये भी लगाए थे।
हिंदू धर्म ग्रहण करने के बाद कुछ लोगों की सह पर पुलिस ने उनके मकान में तालाबंदी कर दी। तालाबंदी के समय वह जेल में थे। उन्होंने बताया कि शिया वक्फ बोर्ड की ओर से यतीमखाने के पास स्थित जमीन का एग्रीमेंट उनके ससुर इब्ने हसन के साथ हुआ था।
एग्रीमेंट में यह तय हुआ था कि यतीमखाने को जब भी इस जमीन की आवश्यक्ता होगी तो उन्हें तीन माह पहले नोटिस दी जाएगी। इसके अलावा मकान के निर्माण कार्य में उनका जो भी रुपया लगा होगा वह वापस दिया जाएगा।
लेकिन ऐसा नहीं किया गया। पुलिस ने कुछ लोगों की सह पर मकान में तालाबंदी कर दी और अब चाबी भी नहीं दे रही है। जितेंद्र नारायण त्यागी ने बताया कि आस पड़ोस के लोग कहते हैं कि यहां मुस्लिम बस्ती है इस लिए रहने नहीं देंगे।
इस संबंध में शनिवार को उन्होंने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से भी मुलाकात कर अपना पक्ष रखा था। पुलिस कमिश्नर ने उन्हें आश्वासन दिया था। इसके बाद भी अबतक मकान की चाबी नहीं सौंपी गई।
जितेंद्र नारायण के साथ हनुमान मंदिर में अखिल भारत हिंदु महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी, गौरव व अन्य लोग मौजूद रहें। सुरक्षा के दृष्टिगत इंस्पेक्टर महानगर केके तिवारी और भारी पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया।
30 जून के बाद हरिद्वार में लेंगे सन्यासः
जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने बताया कि वह 30 जून के बाद हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंद रविंद्रपुरी व जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद की मौजूदगी में सन्यास लेंगे। सन्यास लेकर वह सनातन धर्म के प्रचार प्रसार से जुड़ेंगे। सन्यासियों की तरह ही जीवन यापन करेंगे। वह अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के कार्यों में लगाएंंगे।