उत्तर प्रदेश में 50 पार के पुलिसवालों की जबरन रिटायरमेंट का संदेश वायरल, यूपी पुलिस ने बताया अफवाह
Lucknow : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस कर्मियों को 60 वर्ष की बजाय अब 50 साल में सेवानिवृत्त करने के सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक कथित आदेश का यूपी पुलिस ने खंडन करते हुए इसे गलत बताया है। यूपी पुलिस के ट्विटर हैंडल को रिट्वीट करते हुए गाजियाबाद के पुलिस अधिकारियों ने भी इस तरह के किसी आदेश को अफवाह बताया है।
बता दें कि सोशल मीडिया पर रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार का एक आदेश वायरल हुआ है। इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पुलिस कर्मियों को 50 साल में ही जबरन रिटायर करेगी। साथ ही यह भी बताया गया है कि स्क्रीनिंग के बाद पुलिस कर्मियों को जबरन रिटायरमेंट दी जाएगी। इसके लिए जल्द ही स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया जाएगा। वायरल संदेश में एडीजी कार्मिक का आदेश भी संलग्न किया गया है।
पुलिसकर्मियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से घटाकर 50 वर्ष किये जाने की ख़बर पूर्णतया भ्रामक है।
कृपया बिना सत्यापन के भ्रामक पोस्ट कर अफवाह न फैलाएं।#UPPFactCheck#UPPAgainstFakeNewshttps://t.co/vdegny0Ff0 pic.twitter.com/wDG7DY6wH3— UP POLICE (@Uppolice) March 13, 2022
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे आदेश का यूपी पुलिस ने खंडन किया है। यूपी पुलिस ने अपने टि्वटर हैंडल के जरिए कहा है कि 50 वर्ष में पुलिस कर्मियों को सेवानिवृत्त करने की अफवाह फैलाई जा रही है। इस तरह का आदेश पूरी तरह तथ्यहीन हैं। सरकार के स्तर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
यूपी पुलिस ने अपने टि्वटर हैंडल से दिए जवाब में कहा है कि अक्षम पुलिस कर्मियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति हेतु वर्ष 26 अक्टूबर 1985 में शासनादेश जारी हुआ था। इसके तहत सभी विभागों में अक्षम सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के प्रक्रिया की जाती है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत ऐसे कार्मिकों की स्क्रीनिंग की जाती है, जिनकी आयु 50 वर्ष हो गई है और उनकी सत्य निष्ठा संदिग्ध है तथा कार्य एवं आचरण भी शासन व विभागीय हित के अनुकूल नहीं है। शासनादेश के क्रम में गठित स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा विचारोपरांत ऐसे नामों पर विचार किया जाता है, जिनका सेवा में बने रहना विभाग के हित में नहीं हैं और जिन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति के योग्य समझा गया है।
यूपी पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा है कि उपरोक्त शासन आदेश के क्रम में ही पुलिस मुख्यालय द्वारा यह सूचना हर साल मंगाई जाती है। कुछ जनपदों और विभिन्न शाखाओं से सूचना प्राप्त न होने पर उपरोक्त शासनादेश के क्रम में ही पुलिस मुख्यालय द्वारा सूचना मांगी गई थी। इस सूचना को आधार बनाते हुए भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं, जिसका पुलिस मुख्यालय खंडन करता है।