राजस्व परिषद से सेवानिवृत्त निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल व परिवारों की संपत्ति खंगाल रहा नगर निगम व एलडीए, तीन दिन में मांगी रिपोर्ट
लखनऊ। राजस्व परिषद के पूर्व निजी सचिव विवेकानंद गोबरियाल के साथ ही उनकी पत्नी और दो बेटों की मुसीबतें बढ़ सकती है। पुलिस के साथ ही नगर निगम और लखनऊ विकास प्राधिकरण इन सभी की संपत्तियों को खंगाल रहा है।
नगर निगम के सभी आठों जोनल अधिकारियों से कहा कि गया कि विवेकानंद डोबरियाल, उनकी पत्नी संतोष, बेटे समीर और सरल के नाम नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज संपत्तियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएं।
जांच में तेजी का आलम यह है कि तीन दिन में ही रिपोर्ट मांगी गई है। उधर, लखनऊ विकास प्राधिकरण को भी संपत्तियों का पता करने को कहा गया है।
कैसरबाग पुलिस ने शुक्रवार को नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क किया और विवेकानंद डोबरियाल, उनकी पत्नी और दो बेटों की संपत्तियों की जानकारी मांगी। सहायक पुलिस आयुक्त योगेश कुमार ने भी अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के अलावा नगर आयुक्त और सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण को पत्र लिखकर विवेकानंद डोबरियाल, उनकी पत्नी और दो बेटों की संपत्तियों की जानकारी मांगी है।
अवैैध तरह से धन अर्जित करने का मामला :
पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल के खिलाफ कैसरबाग थाने में आइपीसी की धारा 120 बी, 384, 420,465,405, 471 के अलावा पीसी एक्ट 7, 13(1) (बी), के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसकी जांच सहायक पुलिस आयुक्त योगेश कुमार कर रहे हैं। इसमे विवेकानंद डोबरियाल पुत्र सुरेशानंद निवासी यू/9/2 बादशाहनगर कालोनी और हाल पता 29 अशोक इंकलेव विहार (अशोका इंकलेव) खुर्रमनगर थाना इंदिरानगर के खिलाफ राजस्व परिषद में सेवा में रहते हुए और सेवानिवृत्त के बाद छलपूर्वक अनुचित तरीके से धन अर्जित करने का आरोप लगाया गया है।
जांच अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त ने विवेकानंद डोबरियाल, उनकी पत्नी संतोष, बेटे समीर और सरल के नाम लखनऊ में दर्ज भूखंड, भूमि, भवन व अन्य अचल संपत्ति का विवरण लखनऊ विकास प्राधिकरण, नगर निगम से मांगा गया है। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) से इन लोगों के नाम संपत्ति की रजिस्ट्री से जुड़े अभिलेख मांगे गए हैं।
सेवानिवृत्त के बाद भी राजस्व परिषद में मौजूद था डाेबरियाल :
सेवानिवृत्त होने के बाद भी राजस्व परिषद में उसकी हनक बरकरार थी। उसे राजस्व परिषद में अलग कमरा दे दिया गया था, जहां वह पूर्व सचिव की हैसियत से ही काम कर रहा था। उसे उम्मीद थी कि उसका सेवा विस्तार हो जाएगा। सेवा काल में विस्तार देने का प्रस्ताव देने वाले अधिकारियों पर भी जांच का शिकंजा कस सकता है।
विवेकानंद डोबरियाल मामले में उच्च स्तरीय निगरानी होने से उसके मददगार भी सामने नहीं आ पा रहे हैं। परिषद तैनात अधिकारियों से अधिक हनक रखने वाले पूर्व निजी सचिव के हिसाब से ही तहसीलदार से लेकर नायब तहसीलदारों के तबादले होते थे। विवेकानंद डोबरियाल के साथ ही कई अधिकारी भी जांच के घेरे में आ गए हैं, जो उसे संरक्षण दे रहे थे।