बांग्लादेश बॉर्डर पर घुसपैठियों की निगरानी को मुस्तैद है अनामिका
बांग्लादेश बॉर्डर पर घुसपैठियों की निगरानी को मुस्तैद है अनामिका
कड़ी मेहनत से गांव की बिटिया ने बीएसएफ में तैनात होकर हासिल किया मुकाम
त्रिपुरा के राज्य के बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात :अनामिका गौतम
मीनू बरकाती
पूरनपुर, पीलीभीत।बेटियां, बेटों के साथ कदम से कदम मिलाकर ऊंचे मुकाम हासिल कर रही हैं। सिर्फ घर में ही नहीं बल्कि, हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं।और देश का नाम कर रही है। बीएसएफ फोर्स में भर्ती होकर सेवा दे रही है।वही सरकार के महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दे रही।जिले के हजारा थाना क्षेत्र के राणाप्रतापनगर गांव की रहने वाली अनामिक गौतम सरहद पर तैनात होकर अपने माता पिता और गांव का नाम रोशन कर रही है।बांग्लादेश बॉर्डर की सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान अनामिका गौतम और निडरता के साथ भारत बांग्लादेश बॉर्डर पर घुसपैठियों से लोहा लेने को मुस्तैद है।गांव के शारदा विद्या मंदिर इंटर की पढ़ाई की। इसके बाद गांव से 30 किलोमीटर दूर पलिया कलां के छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की।शिक्षा लेने के बाद अनामिका गौतम अब अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दुश्मनों से देश की रक्षा कर रहीं हैं।पिता दीनानाथ ने खेती करके बेटी को पढ़ाया लिखाया अनामिका गौतम का जीवन बहुत ही संघर्ष हो रहा रोजाना वह अपने घर से करीब 30 किलोमीटर दूर पढ़ने जाती थी। पिता दीनानाथ गौतम की जमीन शारदा नदी की बाढ़ से कट गई जिससे परिवार के पालन पोषण में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और बेटी को पढ़ाने में कोई कसर नही छोटी।वही अनामिका गौतम भी छोटे-मोटे काम कर अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल लेती थी।अनामिका गौतम को बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने का ख्वाब और जनून था जिस पर उनका परिवार और गांव नाज करे। माता पिता खेती किसानी करके परिवार का गुजारा करते थे।शारदा नदी के पास खेती से बाढ़ का डर बना रहता था।दिन में घर से बाहर निकलना भी ठीक नहीं था फिर भी हिम्मत करके स्कूल पढ़ने जाती थी।अनामिका गौतम का बीएसएफ में 22 मई 2017 को चयन हुआ।ट्रेनिंग पूरी की वर्तमान में त्रिपुरा राज्य में बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनाती है।अनामिका बताती है कि उन्हें गांव की पगडंडियां और बचपन के मित्रों की याद आज भी ताजा हो आती है।अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता के संघर्ष आशीर्वाद को देती हैं।मां रमावती गौतम को अपनी बिटिया का अपने से दूर होने की चिंता सताती है।वही मां रमावती गौतम वर्तमान में राणा प्रतापनगर की प्रधान है।मां व परिवार को बेटी का सेना में होना गर्व की अनुभूति दिलाता है।अनामिका बताती है सेना में भर्ती होने मे मेरी सहेलियों का भी बहुत योगदान है।उन लोगो ने हमेशा मुझे हौसला दिया और हर तरह से मेरी मदद की थी।