जलालपुर : राजस्व अधिकारियों की कारगुजारी से फरियादी परेशान, न्याय की उम्मीद में डीएम से की गई शिकायत फिर भी नहीं हो सकी कार्यवाही
जलालपुर।अंबेडकरनगर। राजस्व अधिकारियों की कारगुजारियों और दोहरे चरित्र की चर्चा जोरों पर है।एक ही प्रकार के प्रकरण पर अलग अलग कार्यवाही चर्चा का विषय बन गई है।दशकों पहले अदालत में विचाराधीन मुकदमा वाली जमीन पर लगे पुराने पेड़ को कटवा कर भू समिति द्वारा जल शक्ति मंत्रालय को दी गई जमीन पर बोरिंग शुरू करा दिया वही एक अन्य गांव में भू समिति द्वारा स्वास्थ्य विभाग को दी गई पट्टा की जमीन खाली कराने में आनाकानी कर विचाराधीन मुकदमे का हवाला दिया जा रहा है।
तहसील प्रशासन द्वारा दोहरे मापदंड की चर्चा तहसील से लेकर गांव तक फैल गई है। विदित हो कि शासन के आदेश पर ग्राम भू समिति द्वारा नव निर्माण के लिए बंजर आदि की भूमि को पट्टा दिया जा रहा है। लाभापार के ग्राम प्रधान अमित कुमार गौड़ ने अपने ग्राम पंचायत में आए स्वास्थ्य उपकेन्द्र निर्माण के लिए लगभग चार बिस्वा बंजर की भूमि पट्टा की है। तहसील से पत्रावली पास भी हो गई है। ठेकेदार उपकेंद्र निर्माण के लिए चक्कर लगा रहा है।
यह बंजर की जमीन भूमाफिया के कब्जे में है।जब भूमाफिया को इस बंजर की जमीन को स्वास्थ्य विभाग को भवन निर्माण के लिए पट्टा करने की बात चली। लेखपाल पैमाईश कर चिन्हीकरण कर वापस चला गया तो उसने माननीय सिविल न्यायालय में एक वाद दायर कर दिया।इस दौरान प्रधान अमित जिलाधिकारी से लेकर तहसील का चक्कर लगाता रहा किंतु भूमाफिया के चंगुल से जमीन मुक्त नहीं कराया गया।
इसी तरह का एक पट्टा की जमीन मालीपुर ग्राम पंचायत में है जिसका मुकदमा दशकों से माननीय अदालत में विचाराधीन है।इस जमीन पर लगभग 70 वर्ष पुराने आम के हरे भरे पेड़ लगे है।मुकदमा कर्ता ने पट्टा की सूचना मिलने के बाद जिलाधिकारी उपजिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को अदालत का कागजात लगाकर पंजीकृत डाक से भेज मुलाकात भी किया किंतु जल शक्ति मंत्रालय को दी गई जमीन पर लगे हरे आम के पेड़ को काटकर बोरिंग शुरू करा दी गई।
अब सवाल यह है कि एक तरफ दशकों से लंबित मुकदमा वाली जमीन को खाली कैसे करा दी गई वही दूसरी जमीन जिसपर महज खेती की जा रही है उसपर मुकदमा पट्टा के बाद किया गया उसे क्यों नहीं खाली कराया जा रहा है चर्चा का विषय बन गया है। उपजिलाधिकारी हरिशंकर लाल ने इस प्रकरण पर कोई जवाब नहीं दिया।