Big Scam In UP : यूपी में पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के उपकरण खरीद में करोड़ों का घोटाला, दो गुने दाम पर की गई खरीद
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस के अभियान को सरकारी कर्मी ही झटका दे रहे हैं। ताजा प्रकरण पशुपालन विभाग से जुड़ा है, जहां पर उपकरणों की खरीद में करीब 50 करोड़ का घोटाला हुआ है। प्रकरण सामने आते ही पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने जांच का आदेश देने के साथ ही तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है।
उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम की सामग्री दो गुने से भी अधिक रेट में खरीदी गई है। मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर ने जो उपकरण 50 हजार रुपया में खरीदा है, उसी को उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग ने सवा लाख में खरीदा है। पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम की सामग्री खरीद में भी करोड़ों की हेराफेरी के मामले से खलबली मची है। इस घोटाले की जानकारी मिलते ही पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह अपर मुख्य सचिव अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे को जांच का आदेश दिया है। जांच के आदेश के साथ ही उन्होंने तीन दिन में ही रिपोर्ट भी मांगी है।
माना जा रहा है कि इस घोटाले में कई अधिकारी नपेंगे। इन अधिकारियों ने अपनी चहेती फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए धांधली की है। 50 हजार की कीमत वाला कोल्ड बाक्स एक लाख 27 हजार में खरीदा गया है। एक ही आइटम दो बार अलग-अलग दरों पर खरीदा गया है। इसके साथ ही साजिश के तहत पांच लाख की सीमा में मांग पत्र तैयार करने के साथ ही खरीद स्वीकृति से पहले ही परचेज आर्डर जारी किए गए हैं। मामला सामने आते ही सप्लाई करने वाली फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में पशुओं के लिए घटिया दवा खरीद का प्रकरण अभी थमा नहीं है। पशु चिकित्सालयों के लिए सामग्री खरीदने में भी करोड़ों की हेराफेरी सामने आई है। जो सामग्री मध्य प्रदेश व जम्मू-कश्मीर ने महज 50 रुपये में ली , उसे पशु रोग नियंत्रण के अफसरों ने सवा लाख रुपये में खरीदा है। इनकी खरीद के लिए जिलों से मांगपत्र संबंधी कोई अभिलेख पत्रावली में नहीं है। सरकारी धन लूटने की जल्दबाजी में अफसरों ने एक के बाद एक कई गड़बडिय़ां की हैं। प्रथम दृष्टया सामग्री खरीद में हेराफेरी मिलने पर शासन ने विशेष सचिव को विस्तृत जांच सौंपी है।
प्रदेश सरकार पशुओं को आश्रय देने व उनके इलाज आदि को लेकर बेहद गंभीर है, वहीं पशुपालन और पशु रोग नियंत्रण विभाग के अफसर योजनाओं को पलीता लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। 2021-22 में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) योजना के तहत सामग्रियों की खरीद हुई। जिला स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों की आपूर्ति मुख्यालय पशुपालन विभाग पर 26 जुलाई से 26 अगस्त 2021 तक कराई गई। सामग्री जिलों को आठ माह बाद 22 मार्च 2022 तक भेजी गई, इससे अतिरिक्त खर्च हुआ। आपूर्ति करने वाली मेसर्स जगदीश इंटरप्राइजेज व मेसर्स अभिनीश ट्रेडर्स की संलिप्तता की जांच हो रही है।
अनुमोदन होने से पहले ही जारी किया खरीद आदेश :
विभाग ने एक्टिव कोल्ड बाक्सेस 1,27,770 रुपये प्रति नग की दर से खरीदा। इसी अवधि में मध्य प्रदेश के पशुपालन विभाग ने इन्हीं बाक्सेस को 47,250 व 49500 रुपये में खरीदा, जबकि जम्मू-कश्मीर में 59000 प्रति नग की दर से खरीदा गया। आर्डर जेम पोर्टल से और भुगतान मैनुअल हुआ। बाक्सेस खरीदने का अनुमोदन 18 जुलाई 2021 को हुआ, जबकि खरीद आदेश 17 जुलाई को ही कर दिया गया।
एक माह में रेफ्रि जरेटर की कीमत में 75 हजार रुपये का अंतर :
विभाग ने आइस लाइनर रेफ्रि जरेटर खरीदने के लिए दो निविदाएं की। एक माह के अंतराल पर हुई निविदाओं में 75 हजार रुपये का अंतर है। पहले 2,49,980 व फिर 1,75,806 की दर पर खरीद हुई। मेसर्स अभिनीश ट्रेडर्स से एन-95 मास्क 96.50 रुपये की दर पर खरीदा गया। बिड में भी तय समय सीमा का पालन नहीं हुआ। गागल्स खरीदने के लिए 26 जून को बिड हुई और वह उसी दिन खोली गई।
दो पूर्व निदेशकों पर उठ रही अंगुली :
पशुपालन विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे की ओर से जारी आदेश में लिखा है कि खरीद में गड़बड़ी दिख रही है। पूर्व निदेशक डा. आरपी सिंह व डा. इंद्रमणि के कार्यकाल में खरीद हुई है और जेम बायर डा. जेपी वर्मा रहे हैं। इनमें से डा. इंद्रमणि अब निदेशक प्रशासन पशुपालन हैं। करोड़ों की खरीद में जेम पोर्टल के नियमों का पालन नहीं किया गया। इसकी विस्तृत जांच विशेष सचिव समन्वय विभाग रामसहाय यादव को सौंपी है, वे एक माह में रिपोर्ट देंगे।