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बीसलपुर के गांव नरायनपुर मे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ

 

बीसलपुर, पीलीभीत। बीसलपुर के गांव नरायनपुर मे चल रही सात दिवसीय कथा मे कासगंज से पधाले कथा बाचक प्रेम कुमार ने कहा कि बार की बात है एक जंगल में बहुत जोर जोर से ब्राहण रो रहा था। और उनके पास से एक संत गुजर रहे थे। संत ने पूछा ब्रह्मणदेव आप तो बड़े ज्ञानी लगते हो फिर आप क्यों रो रहे हो क्या कारण इस रोने का फिर आत्मदेव ने कहा आप को पता है मुझे कोई संतान नही है।इसी कारण मै बहुत दुखी हू।और मुझे एक संतान चाइए। फिर संत श्री ने कहा की हे ब्राह्मण देव आप देखने में बहुत ही शात और ज्ञानी लगते है।फिर आप किस झंझट में पड़ रहे हो पर उस ब्राह्मण देव को कुछ समझ नहीं आ रहा था।और वो एक ही जिद कर रहे थे।और कह रहे थे की अगर आप ने मुझे संतान नही दी तो मैंआत्महत्या कर लूंगा।फिर संत श्री ने सोचा की इन ब्राह्मण देव को समझना व्यर्थ है।फिर संतश्री ने कहा की हे आत्मदेव तुम्हे इस जन्म में तो क्या अगले 7जन्म में भी संतान नहीं हो सकती पर तुम परेशान मत हो। क्योंकि तुमने कुछ ज्यादा ही सोच लिया संतश्री ने अपने झोले में से एक फल निकाला और ब्राह्मण देव को दे दिया। और कहा सीधा अपनी पत्नी को खिला देना। आत्मदेव बहुत खुश हो कर घर गयेऔर अपनी पत्नी को बुलाया और कहा की हे देवी तुम इस फल को खा लेना इसे तुम्हे संतान हो जाएगी।और इस घर में भी संतान की आवाज सुनाई देगी।फिर वो फल देकर चले गए तो उनकी पत्नी का नाम दूंधली था धुंधली कुछ अलग विचार की थी।वो हमेशा चुगली किया करती थी। और दूसरे से लड़ती रहती थी।फिर उसने ये सोचा की अगर मैने ये फल खा लिया तो मुझे बहुत पीडा होगी।और मैं कही जाकर चुगली भी नहीं कर पाऊंगी।और मेरी सारी सुंदरता खराब हो जायेगी।फिर उसी समय उसकी बहन वहा आ गई और कहने लगी क्या हुआ धुंधली तुम क्यों परेशान हो क्या बात फिर धुधिली ने सारी बात बताई। और कहा बहन में अपने गर्व में कोई बच्चा नही रखना चाहती हू।तो उसकी बहन ने कहा कि सुन बहन एक काम कर मुझे नवें मास में एक पुत्र होगा उसे तू लेलेना और मुझे खूब सारा धन दे देना। फिर धुधली ने कहा की बहन इस फल का क्या करू फिर धूधली की बहन ने  कहा की इसे फल को गाय माता को देदे क्योंकि अगर ये सच फल होगा तो तेरी गईया को भी संतान हो जाएगी।फिर धुदली खुश हो गई और उसने नवें मास तक कुछ कुछ करके अपने पति को पागल बनाती है और अपनी बहन को बहुत सारा धन देकर उसके पुत्र को ले लेती है। और उसी समय गइया को एक बच्चा होता है जो देखने में एकदम मानव का बालक था किंतु उनके कान बिल्कुल गौ जैसे थे फिर उनके कान गौ जैसे होने के कारण उनका नाम गोकर्ण पड़ गया। और धुंधली ने अपने पुत्र का नाम धुंधकारी रखा।

रिपोर्ट शैलेंद्र शर्मा व्यस्त

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