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2023 का बजट: भाजपा कार्यकर्ता ने बताया लोक कल्याणकारी तो विपक्षी पार्टियों ने बजट पर उठाए सवाल

पीलीभीत। बुधवार बजट जारी होने के बाद राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग राय दी है। भाजपा ने इस लोक कल्याणकारी तो विपक्षी पार्टियों ने बजट पर सवालिया निशान उठाए हैं। भाजपा नेता रोहित वर्मा ने बताया इस वजट में किसानों, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, उधमियों व मध्यम वर्ग का खास ख्याल रखा गया है, शिक्षा के क्षेत्र से लेकर स्वास्थ्य,रेल व गरीबों के आवास हेतु पूरा ध्यान दिया गया है। रक्षा के क्षेत्र में 5.94 लाख करोड़ आवंतित कर देशहित व सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत करने का आश्वासन दिया है। और दूसरी ओर ऑटोमोबाइल, ई वाहन और मोबाइल फोन सस्ते करने से देश के आर्थिक व सामाजिक विकास में काफी हद तक सहायक साबित होंगे। आय पर छुट की सीमा 7 लाख तक करना भी मध्य्म वर्ग के लिए राहत का संकेत है। कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2023 का वजट लोक कल्याणकारी सावित होगा।
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 पेश हुए बजट मे कुछ भी नया नही है सिर्फ पैकिंग बदली गई है सामग्री वही है बताया गया है आय दोगुनी हुई है बेरोजगारी घटी है ये बात धरातल पर उतर कर देखे की कितनी सच्चाई है इस बात मे नौजवानों,किसानो और ख़ासकर छात्र छात्राओं के साथ ये बजट महज दिखावा और छलावा है

नोमान अली वारसी
जिलाध्यक्ष/पूर्व प्रदेश सचिव
समाजवादी छात्र सभा पीलीभीत,उत्तर प्रदेश

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बजट 2023-24 को किसान वीएम सिंह ने बताया समझ से परे
बजट का मतलब किसान और नौजवान वर्ग को सही दिशा देना है जो कि स्पष्ट नहीं हो रहा : सिंह
पूरनपुर, पीलीभीत। 2023-24 के बजट को लेकर किसान नेता वीएम सिंह ने जारी वक्तव्य में कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है, जिसमें 60 से 70 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है। इसलिए बजट से अपेक्षाएं भी होती हैं। खासतौर से नौजवान पीढ़ी को जिन्हें रोजगार नहीं मिल रहा और वो खेती को जिंदा करने की उम्मीद बजट में देखते हैं। इस बजट में ऐसा कुछ नहीं हुआ। श्री सिंह ने कहा कि पिछले 5 साल के दौरान 11.4 करोड़ किसानों को 9.2 लाख करोड़ किसान सम्मान योजना के तहत देने का ऐलान किया गया जो 5 साल में 20000 रुपए प्रति किसान से कम है। जबकि 3 एकड़ के मझले किसान को 5 साल में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक्री न होने के कारण अकेले एक धान की फसल में 1.5 लाख का घाटा होता है। इसलिए कृषि क्षेत्र की निगाहें एमएसपी गारंटी पर थी जो नहीं मिली। जो किसान के नाम पर दिया गया वो है बढ़ा हुआ कर्ज। 2016-17 में मोदी जी ने कहा था 5 साल में किसान की आय दोगुनी होगी पर विडंबना देखिए 2014-15 में खेती पर दिया गया। कृषि ऋण 8 लाख करोड़ था और आज 20 लाख करोड़ कर दिया गया है, जोकि 2.5 गुना बढ़ गया है। बजट में 1 करोड़ किसानों को जैविक खेती के दायरे में लाने की बात की गई है। वहीं 2015-16 के बजट की तरफ देखें तो देश के सभी किसानों को जीरो बजट खेती के दायरे में लाने की बात कही गई थी। बजट पर कितना अमल होता है इससे यह साफ दिखता है। वहीं सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए हर समिति के सदस्य को 2 लाख रुपया देने की बात कही गई है पर ये स्पष्ट नहीं किया गया कि ये अनुदान होगा या और ऋण ? सहकारिता के दायरे में आने वाली चीनी मिलों को तकरीबन 10000 करोड़ रुपए के लाभ की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि किसानों के 20 लाख करोड़ ऋण में से 10वां हिस्सा चीनी मिलों के नाम दर्शाते हुए सरकार किसानों को उनके गन्ने का कानूनी प्रावधान के तहत भुगतान कर देती, जिससे किसानों के आंसू पूंछ जाते। अंत मे उन्होंने कहा कि बजट का मतलब दिशा देना है। किसान खासतौर पर नौजवान वर्ग को सरकार क्या दिशा दे रही है, कुछ समझ में नहीं आया। अगर एमएसपी की गारंटी का ऐलान कर देते तो नौजवानों को रोजगार तो नहीं जीविका जरूर मिल जाती।
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केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को सपाइयों ने बताया चुनावी बजट
पूरनपुर, पीलीभीत। केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को सपा कार्यकर्ताओं द्वारा चुनावी बजट बताया गया। सपा नेताओं ने कहा कि इस बजट में अल्पसंख्यक वर्ग के लिए कुछ नहीं है। अल्पसंख्यक समुदाय को इस बजट में ठेंगा दिखाया गया है। अल्पसंख्यक बच्चों का वजीफा बंद उन्हें शिक्षा से वंचित करने का प्रयास किया गया है। सपा नेता और सभासद तौफीक अहमद क़ादरी ने कहा कि बजट निराशा जनक है। बजट में गरीबों के लिए पांच किलो अनाज के अलावा कुछ नहीं है। पांच किलो अनाज के अलावा भी योजनाएं लागू करनी चाहिए थी। रसोई गैस सिलेंडर सस्ता होना चाहिए था। आम गरीब के लिये कुछ नही है। इस बजट से धनी वर्ग और धनी होगा, गरीब और गरीब होगा। बजट में महिलाओं के लिए भी कुछ नहीं है। गरीबों के इस्तेमाल में काम आने बाली चीजें महंगी हुई है। एल ई डी टीवी सस्ती हुई है। मदरसा शिक्षको से सौतेला व्यवहार किया गया। नवजात बेटियों के लिया कोई योजना लागू होनी चाहिए थी। इस बजट से धनी वर्ग को ही लाभ होगा, जबकि केंद्र सरकार को शिक्षा और चिकत्सा सस्ती करनी चाहिए थी जो नहीं हुआ। बजट से कोई राहत नहीं मिली है। किसानों के लिय भी झुनझुना पकड़ाया गया है। बजट को निराशा जनक बताने बालों में मुख्य रूप से अंग्रेज सिंह, ओमकार गुप्ता, ओमकार यादव, शिव कुमार यादव, नदीम अहमद साबरी, नुसरत परवीन क़ादरी, जियाउल मुस्तफा फारूक कुरैशी इत्यादि थे। इधर जिलाध्यक्ष/पूर्व प्रदेश सचिव समाजवादी छात्र सभा नोमान अली वारसी ने कहा कि आज पेश हुए बजट मे कुछ भी नया नही है। सिर्फ पैकिंग बदली गई है, सामग्री वही है। बताया गया है कि आय दोगुनी हुई है, बेरोजगारी घटी है। यह बात धरातल पर उतर कर देखे की कितनी सच्चाई है। इस बात मे नौजवानों, किसानो और ख़ासकर छात्र छात्राओं के साथ ये बजट महज दिखावा और छलावा है।
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बसपा जिलाध्यक्ष देव स्वरूप आर्य ने भी बजट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया सरकार बेरोजगारी पर कोई काम नहीं कर रही है। लगातार पढ़े लिखे नौजवान रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। बजट में आंकड़े बाजी तो है पर आम जनता और गांव के किसान की पीड़ा को समझने की बात दिखाई नहीं दे रही है।

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