सद्भाव और सौमनस्य से राष्ट्र प्रेम सम्पुष्ट होता है- प्रो. परेश कुमार
अम्बेडकरनगर। बाबा बरुआदास पी.जी. कालेज परुइया आश्रम में बुधवार को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया। विभाजन के दर्द और दंश को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इन लाखों लोगों का विस्थापन का मूल कारण नासमझ नफरत और हिंसा बनी। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. परेश कुमार पाण्डेय ने अपने उद्बोधन मे बताया कि 20 फरवरी, 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने एलान किया कि ब्रिटिश हुकूमत ने 30 जून, 1948 से पहले सत्ता का हस्तांतरण कर भारत छोड़ने का फैसला किया है। हालांकि अंग्रेजों ने जाते जाते भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की वह टीस भी दी जिसे आज तक नहीं भुलाया जा सका है। इससे उत्पन्न वैमनस्य ने लोगों के सौहार्द्र को खण्डित किया। सद्भाव और सौमनस्य से राष्ट्र के प्रति प्रेम सम्पुष्ट होता है जबकि नफरत सौमनस्य के लिए घातक है, अतः इस मनोवृत्ति से दूर रहना चाहिए। निवर्तमान प्राचार्य प्रो. के.के मिश्र ने कहा विभाजन के चलते 1.3 करोड़ लोगों को अपनी जड़ों से उखड़ कर विस्थापन का शिकार होना पड़ा था। जिसका दंश सभी को झेलना पड़ा था चीफ प्राक्टर डॉ कुलदीप सिंह ने कहा कि विभाजन के परिणाम स्वरूप उत्पन्न राजनैतिक पारिस्थितियॉ आज भी सामान्य नहीं हो सकी हैं। डॉ. राजित राम यादव ने बताया कि यह दिवस भारत में लोगों की एकता, सद्भाव और देश प्रेम को मजबूत करता है। कार्यक्रम में उपप्राचार्य प्रो. पवन कुमार गुप्त, डॉ.चन्द्रकेश कुमार, डॉ. पवन कुमार दुबे,डॉ. सुधीर कुमार पाण्डेय,राम अचल यादव,डॉ. सत्य प्रकाश पाण्डेय, आकाश आदि की गरिमामयी उपास्थिति रही।