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कलीनगर क्षेत्र में तीन माह के भीतर चार ग्रामीणों को खा गया बाघ, सड़कों और आबादी में घूम रहे टाइगर से खतरे में जान

पीटीआर से निकलकर टाइगर बेगुनाहों की ले रहे जान
  1. पीलीभीत। कलीनगर क्षेत्र में तीन माह के भीतर टाइगर चार लोगों पर हमला कर मार चुका है। टाइगर के लगातार जंगल से निकलकर बेगुनाहों को मौत के घाट उतार रहें हैं। तीन माह में बाघ चार लोगो को मार चुका है। टाइगर सहित अन्य वन्यजीव रिहायशी इलाके में मस्ती कर रहें हैं।
मंगलवार को बाघ ने हमला कर जमुनिया निवासी तोताराम को मौत के घाट उतार दिया। इसके अलावा बाघ ने 27 जून को रानीगंज निवासी लालता प्रसाद और 16 अगस्त को गांव के ही राममूर्ती पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया था। 21 सितंबर को माला निवासी रघुनाथ को रायपुर में मार डाला था। 28 जुलाई को सेल्हा में रहने वाली बेवी को तेंदुआ घर से उठा ले गया था। लगातार ताबड़तोड़ घटनाओं से ग्रामीणों ने तार फेंसिंग कराने की मांग की है।
इन दिनों अलग-अलग स्थानों पर टाइगर की दस्तक से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। वन्यजीव जंगल किनारे खेतों में खड़ी फसल को चट कर रहे हैं। भय के चलते ग्रामीण दिन ढलते ही अपने घर को आ जाते हैं। तार फेसिंग को लेकर वन विभाग ने अभी तक काम शुरु नहीं किया है। इसी के चलते पीटीआर के अधिकांश बाघ और तेंदुओं की मौत जंगल से बाहर हुई है। पिछले वर्ष महोफ और बराही रेंज में तार फेसिंग हुई थी लेकिन बजट के अभाव में कार्य रुक गया था।
कलीनगर व पूरनपुर तहसील क्षेत्र के अधिकांश गांव जंगल से घिरे हुए हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद बाघ ने पिपरिया संतोष, कुंवरपुर, कलीनगर, शाहगढ़, चतीपुर, माला, गढ़ाकलां, निजामपुर, चांदूपुर, रानीगंज सहित कई गांव में बाघ ने हमला कर ग्रामीणों को अपना निवाला बनाया था। इसके अलावा जंगल से बाहर आ रहे वन्यजीवों के पीछे शिकार में बाघ आवादी में पहुंच रहे हैं। जंगल किनारे खड़ी फसले भी जंगली जानवर चट कर रहे हैं। दिन ढलते ही खेतों पर काम करने वाले किसान बाघ के भय से अपने अपने घरों को लौट आते हैं। जंगल किनारे तार फेसिंग न होने के कारण जंगल से निकले जंगली जानवर सूअर, चीतल, नीलगाय सहित कई जानवर ग्रामीणों की फसल उजाड़ रहे हैं। बार्डर क्षेत्र में तेंदुए के मवेशियों पर ताबड़तोड़ घटनाओं से खेतों पर खड़ी फसल की रखवाली के लिए गांव में मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। खेतों पर बने मचान सूने पड़े रहते हैं। कोई भी जान जोखिम में डालकर मजदूरी करना नहीं चाह रहा है। वन विभाग ने बराही, माला, हरीपुर रेंज सहित कई रेंजो में तार फेसिग पूरी नही हुई है। पिछले वर्ष महोफ और बराही रेंज में कुछ किलोमीटर तार फेंसिंग हुई थी। जंगल किनारे तार फेंसिंग हो जाने के बाद ही जंगली जीव जंतु वह लोग सुरक्षित रह पाएंगे। तार फेंसिंग होने के बाद जंगल में लोग आसानी से घुस भी नहीं पाएंगे। इससे जीव-जंतुओं की सुरक्षा में भी काफी सहयोग मिलेगा। तार फेंसिंग न होने से जीव जंतु आसानी से बाहर आ जाते हैं।

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