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देवेंद्र फडणवीस के बाद कुछ और नेताओं को लगेगा झटका? क्यों गुजरात पैटर्न की चर्चा

Mumbai : एकनाथ शिंदे और फडणवीस की शपथ को तीन सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हो सका है। कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में भी गुजरात पैटर्न लागू हो सकता है और इससे नेता सतर्क हैंं। आशीष शेलार, सुधीर मुनगंटीवार, गिरीश महाजन और चंद्रकांत पाटिल जैसे वरिष्ठ नेताओं को मंत्री परिषद में हिस्सा दिए जाने की चर्चा चलती रही हैं। हालांकि इन नेताओं ने अब तक अपनी संभावनाओं को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। दरअसल इन नेताओं को लगता है कि कुछ भी बोलना ठीक नहीं होगा और वह उनकी संभावनाओं को चोट पहुंचा सकता है।

महाराष्ट्र के सियासी हलकों में इस बात की भी चर्चाएं हैं कि कैबिनेट गठन में भाजपा लीडरशिप गुजरात पैटर्न लागू कर सकती है। गुजरात में विजय रूपाणी के स्थान पर बीते साल जब भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाया गया था तो पूरे मंत्री परिषद को ही बदल दिया गया था। डिप्टी सीएम नितिन पटेल समेत तमाम वरिष्ठों को इसमें जगह ही नहीं दी गई। कहा जा रहा है कि ऐसा ही फॉर्मूला महाराष्ट्र में लागू हो सकता है और पुराने चेहरों की बजाय कई नए लोगों को जगह दी जा सकती है। ऐसे में महाराष्ट्र भाजपा के दिग्गज चुप्पी साधना ही बेहतर समझ रहे हैं और हर सवाल के जवाब में यही कहते हैं कि पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसे उठाने के लिए तैयार हैं।

पार्टी के जो नेता कैबिनेट में जाने को आतुर हैं, वे अब भी खामोश हैं। बीजेपी हो या शिंदे गुट के शिवसेना विधायक सभी शांत हैं। कहा जा रहा है कि सभी नेता केेंद्र का मूड भांपने की कोशिश में हैं। कैबिनेट विस्तार में ‘गुजरात पैटर्न’ लागू करने की बात हो रही है। कहा जा रहा है कि वरिष्ठ नेता भी कोई चांस नहीं ले रहे हैं। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार, गिरीश महाजन, आशीष शेलार, चंद्रकांत पाटिल फडणवीस सरकार में मंत्री थे। लेकिन उनमें से कोई भी खुले तौर पर यह नहीं कह रहा है कि हम मंत्री बनेंगे।

बता दें कि देवेंद्र फडणवीस को लेकर भी लीडरशिप ने चौंकाया था। उनके सीएम बनने की चर्चाएं तेज थीं, लेकिन राज्यपाल से मिलने के बाद उन्होंने ही कहा था कि वह सरकार से बाहर रहेंगे और एकनाथ शिंदे सीएम होंगे। हालांकि कुछ देर बाद ही पार्टी नेतृत्व के बाद दबाव में उन्होंने डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करने की बात कही। यही वजह है कि गिरीश महाजन, आशीष शेलार और चंद्रकांत पाटिल समेत तमाम नेता कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं और चुप्पी साधे हैं।

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