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चौराहे में चार व्यक्तियों से भिड़ सकती हूं, आप मुझे संरक्षण तो दें…महिला DIG का हौसला देख सीएम ने रोका तबादला

शिमला। ‘पुलिस में सेवाएं देना आपकी पसंद तो नहीं होगी, लेकिन आ ही गई हो तो…। यह पंक्तियां नहीं है बल्कि आईना है जो बताता है कि महिला पुलिस अधिकारी के बारे में पुरुषों की सोच अब भी नहीं बदली। 1972 में देश की पहली महिला आइपीएस अधिकारी बनी किरण बेदी को न जाने कितने ही प्रश्नों से जूझना पड़ा होगा। आज भी हालत नहीं बदले हैं। यह बात शिमला स्थित राजभवन में सोमवार को 10वें राष्ट्रीय महिला पुलिस सम्मेलन के दूसरे दिन नार्दन रेंज की डीआइजी सुमेधा द्विवेदी ने कही।

उन्होंने बताया, ‘ऊना जिले में बतौर पुलिस अधीक्षक तैनाती मिली। तब वहां चुनाव थे। फिर यहां से तबादला कर दिया गया। मैं सीधे मुख्यमंत्री के पास गईं और पूछा कि क्या सरकार को मेरी क्षमताओं पर भरोसा नहीं? मुख्यमंत्री ने उत्तर दिया कि ऐसी बात नहीं। चुनाव आ रहे हैं, इसलिए नेता कह रहे हैं कि एक महिला कैसे संभालेगी। मैंने कहा कि सर, चौराहे में चार व्यक्तियों से भिड़ सकती हूं। उन्हें पीट सकती हूंं, लेकिन आप मुझे संरक्षण दें। इसके बाद उन्होंने मेरा तबादला नहीं किया। आज मैं हिमाचल की पुलिस रेंज की पहली डीआइजी हूं। मुझे अवसर मिला है। डीजीपी ने मुझ पर भरोसा जताया है। महिलाओं को अगर अहम पर पर तैनाती के मौके पर मिले तो वे बेहतर कार्य कर सकती हैं।

परिवार ही मेरा रोल माडल : मंजरी

स्पेशल डीजी सीआइएसएफ के पद से सेवानिवृत्त बिहार कैडर की मंजरी जरूहार के अनुसार परिवार ही उनका रोल माडल रहा है। वह बिहार की पहली महिला आइपीएस अधिकारी रही हैं। परिवार में आइएएस व आइपीएस अधिकारी थे। उन्हीं की प्रेरणा से 1976 में आइपीएस बनी। तब वहां के डीजीपी को भी पता नहीं था कि मुझे कहां पोङ्क्षस्टग देनी है। क्या करवाना है। महिला अधिकारियों के प्रति आज जैसी समझ भी नहीं थी। आज इक्का दुक्का महिला अधिकारी ऐसी होंगी, जिनके अधिकारी होने पर समाज की ओर से सवाल उठते होंगे, जैसा कि सुमेधा कह रही थीं। अब महिला अधिकारियों की संख्या काफी अधिक हो गई हैं। तब कितनी थी, यह आप स्वयं समझ लीजिए।

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