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वासंतिक नवरात्र 2022: शन‍िवार से शुरू होगी शक्ति आराधना, नौ नहीं केवल तीन तिथियों का व्रत भी देगा पूरा फल

गोरखपुर। दो अप्रैल दिन शनिवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है। इसी दिन वासंतिक नवरात्र प्रारंभ हो रहा है। इसी के साथ हिंदू नववर्ष भी शुरू हो जाएगा। आठ अप्रैल को महानिशा पूजा, नौ को महाष्टमी व्रत व 10 अप्रैल को रामनवमी है। यह नवरात्र पूरे नौ दिन का है। न तो किसी तिथि की वृद्धि है और न ही क्षय। ज्योतिषीय दृष्टि से यह नवरात्र संतुलन व सौम्यता प्रदान करने वाला है।

नवरात्र को शुभ बना रहे सभी योग

पं. शरदचंद्र मिश्र व पं. नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार दो अप्रैल को सूर्योदय 5:51 बजे और प्रतिपदा तिथि दिन में 11:29 बजे तक है। रेवती नक्षत्र दिन में 12:57 बजे तक, इसके बाद अश्विनी नक्षत्र है। ऐंद्र योग सुबह 8:22 बजे तक, इसके बाद वैधृति योग है। इस दिन धाता नामक औदायिक योग भी है। ये सभी योग इस नवरात्र को अत्यधिक शुभ बना रहे हैं।

मनेगा भगवान राम का जन्मोत्सव

वासंतिक नवरात्र में मां दुर्गा के साथ ही भगवान राम की भी आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को हुआ था। इसलिए इस तिथि को रामनवमी कहा जाता है। इस दिन भगवान राम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

कलश स्थापना मुहूर्त

मीन लग्न (द्विस्वभाव लग्न)- सूर्योदय 5:51 बजे से सुबह 6:28 बजे तक।

अभिजित मुहूर्त- दिन में 11:36 बजे से 12:24 बजे तक।

मिथुन लग्न (द्विस्वभाव लग्न)- दिन में 10:03 बजे से 12:17 बजे तक।

कन्या लग्न (द्विस्वभाव लग्न)- सायं 4.48 बजे से 6.10 बजे तक।

केवल तीन तिथियों का व्रत भी देगा पूरा फल

जो लोग पूरे नवरात्र व्रत नहीं कर सकते, वे यदि सप्तमी, अष्टमी और नवमी इन तीन तिथियों में उपवास करें, तो भी उनकी कामना सिद्ध होती है। उन्हें नवरात्र व्रत का पूरा फल मिलता है। तीन दिन भी व्रत न कर सकें तो केवल पहले दिन व महाष्टमी के दिन व्रत रहना चाहिए। मां भगवती की कृपा सभी पर समान रूप से बरसती है।

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