गुनाहों से रोजदारों को निजात दिलाएगा पाक माह-ए-रमजान, रविवार को पहला रोजा
‘माह-ए-रमजान’ मुस्लिम समुदाय का बरकतों और रहमतों का महीना शुरू होने जा रहा है। चांद के दीदार के साथ रविवार को पहला रोजा होगा। इस माह में खुदा अपने बंदों पर रहमतों का खजाना लुटाता है। सच्चे दिल से रोजा रखने और इबादत करने पर माह की फजीलत से रोजेदारों को गुनाहों से भी निजात दिलाता है। पूरे महीने दोजख के दरवाजे बंद होने के साथ शयातीनों को भी कैद कर मोमिनों के लिए जन्नत की राह खोल दी जाती है।
पूरी दुनिया की कहानी भूख-प्यास इंसानी ख्वाहिशों पर टिकी हुई है। और रोजा इन सभी चीजों पर नियंत्रण और संयम रखने की साधना है। रमजान का महीना तमाम इंसानों के दुख-दर्द और भूख प्यास को समझने का महीना है, ताकि रोजेदार खुद पर नियंत्रण करना सीखने के साथ लोगों की मजबूरी का एहसास कर सकें।
साल भर दुनियादारी में उलझे रहने के बाद एक माह तक रोजा रख (भूखे-प्यासे) खूब इबादतें करने का महीना शुरू होने जा रहा है। शहर इमाम मुफ्ती जुनैद उल कादरी ने बताया कि, चांद देख कर हर आकिल बालिग मोमिन को रोजा रखना जरूरी होता है। जिस तरह पानी शरीर को पवित्र करता है वैसे ही रमजान आत्मा को पवित्र करता है।
चांद दिखा तो रविवार से पहला रोजा होगा। माह-ए-रमजान के तीन अशरे होते है, पहले दस दिनों तक रहमतों का होता है। 11-20 दिनों तक दूसरा मगफिरत अशरे में रोजदार सच्चे दिल से तौबा (माफी मांगने) करने से सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। तीसरा आखरी अशरा दोजख की आग (नरक) से निजात दिलाता है।
संयम और नियंत्रण रखना है मुख्य उद्देश्य
रमजान के तहत हर बालिग को रोजा रखना जरूरी है। रोजे का मकसद महज भूख-प्यास पर ही नियंत्रण रखना नहीं है बल्कि संयम, नियंत्रण और खुदा की इबादत करना भी जरूरी है। एहतराम करने वाले रोजेदार को माह-ए-रमजान भूखे और गरीबों की स्थिति का एहसास कराता है। रोजे के दौरान झूठ बोलने, चुगली करने, निंदा करने आदि बातों से बचने का खास ध्यान रखना जरूरी है।
14 घंटे का होगा पहला रोजा
तपिश की गर्मी के बीच शुरू होता रमजान रोजदारों के सब्र का इम्तिहान लेगा। लेकिन फिर भी बच्चों से लेकर बड़े और मेहनत मजदूरी करने वाले कामकाजी रोजा रखने से पीछे नहीं हटते है। इस बार पहला रोजा 14 घंटों का होगा। पहले रोजे की खत्म सेहरी का समय सुबह 4:34 मिनट है तो इफ्तार का समय 6:34 है।