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खेला होई का स्लोगन देने वाले पूर्व विधायक के साथ ‘खेला’, सपा से टिकट कटने पर फूट-फूटकर रोए

बंगाल चुनाव के नारे खेला होबे का भोजपुरी वर्जन खेला होई स्लोगन अपने घर पर की दीवारों पर लिखवाकर चर्चा में आए पूर्व विधायक अब्दुल समद अंसारी के साथ ही खेला हो गया है। वाराणसी की उत्तरी सीट से प्रबल दावेदारे माने जा रहे समद को सपा ने टिकट नहीं दिया तो समर्थकों और मीडिया के सामने ही फूट-फूटकर रो पड़े। सपा ने यहां से अशफाक अहमद डब्लू को टिकट दे दिया है।

साल 2007 में शहर उत्तरी विधानसभा से समद अंसारी विधायक बने थे। गुरुवार को नामांकन के अंतिम दिन उन्होंने पूरी तैयारी की हुई थी। उन्हें उम्मीद थी कि टिकट जरूर मिलेगा। लेकिन नहीं मिला तो चर्चा निर्दल ही मैदान में उतरने की उड़ने लगी।

इस चर्चा को विराम देने के लिए समद मीडिया और कार्यकर्ताओं के सामने आए। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रोने लगे। रोते-रोते जमीन पर ही बैठ गए। उनके आसपास खड़े बड़े बुजुर्गों ने किसी प्रकार उन्हें संभाला और ढांढ़स बंधाया।

खुद को किसी तरह संभालने के बाद समद ने कहा कि जिनको पार्टी ने टिकट दिया है वह अवाम के हितैषी नहीं हैं। अंसारी ने कहा कि इस प्रत्याशी ने अपने परिवार अपने रिश्तेदारों को धोखा दिया है। यह बार-बार लोगों को धोखा देते हैं और पार्टी बदलते रहते हैं।समद ने कहा कि हम लोग पिछले 15 दिनों तक लखनऊ में थे।

इस दौरान अखिलेश यादव के अलावा समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के साथ मीटिंग हुई, सभी ने कहा आपको ही टिकट मिलेगा। उन्होंने बताया कि कल रात आठ बजे तक यह कहा गया कि टिकट मिलेगा आप तैयारी कीजिए।

उन्होंने कहा कि चाहे जैसी परिस्थिति बनी सिंबल किसी और को दे दिया गया। समाजवादी पार्टी का सिंबल उनको मुबारक हो, हमको समाजवादी पार्टी ने यह संदेश दिया है कि समद अंसारी अपने घर पर रहें तो ठीक है।

उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के हम सिपाही हैं इसलिए हम अपने घर में ही बैठेंगे और चुनाव को देखेंगे। इसके बाद हमारे जो बड़े बुजुर्ग फैसला करेंगे हम उनका सम्मान करेंगे। समाजवादी पार्टी अगर चाहेगी तो बनारस ही नहीं प्रदेश के अंदर जहां चाहेंगे हमारा इस्तेमाल करें हम तैयार हैं।

समद ने कहा कि मेरे ऊपर इस बात का दबाव बनाया गया कि पार्टी बदल दें। मगर हम मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव के सिपाही हैं। इसलिए हम लोग कहीं कोई जगह नहीं बदलेंगे। इतना कहने के बाद समद आंसू पोंछते हुए सभा से बाहर निकल गए।

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