UP MLC Election 2022: एमएलसी चुनाव में समाजवादी पार्टी का खाता न खुला तो छिन जाएगा नेता प्रतिपक्ष का पद, जानिए समीकरण
लखनऊ। विधान परिषद में स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र की 36 एमएलसी सीटों में यदि सपा एक भी सीट नहीं जीत पाती है तो उससे जुलाई में नेता प्रतिपक्ष का पद छिन जाएगा। यानी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी बचाए रखने के लिए अब सपा का सारा दारोमदार स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव पर है। इसके लिए पार्टी पूरा जोर लगाए हुए है। दरअसल, 100 सीटों वाले विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद विपक्ष में सबसे बड़े दल को मिलता है। इसके लिए दल की न्यूनतम 10 सीटें जरूरी हैं।
वर्तमान में सपा के 17 एमएलसी हैं। 28 अप्रैल को नामित एमएलसी बलवंत सिंह रामूवालिया, वसीम बरेलवी व मधुकर जेटली का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। 26 मई को भी तीन एमएलसी राजपाल कश्यप, अरविन्द कुमार व संजय लाठर का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। सोमवार 28 मार्च को ही सपा ने संजय लाठर को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। इन छह सीटों पर अब भाजपा अपने नेताओं को नामित करेगी। इसके बाद छह जुलाई को सपा के छह और एमएलसी जगजीवन प्रसाद, कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, शतरुद्र प्रकाश (अब भाजपा में), बलराम यादव व राम सुंदर दास निषाद का भी कार्यकाल पूरा हो जाएगा।
ऐसे में सपा के जुलाई में केवल पांच सदस्य नरेश चन्द्र उत्तम, राजेन्द्र चौधरी, आशुतोष सिन्हा, डा. मान सिंह यादव व लाल बिहारी यादव रह जाएंगे। जुलाई में विधानसभा कोटे की 13 सीटें रिक्त हो रही हैं। इसके लिए चुनाव जून में होंगे। चूंकि एक सीट के लिए 31 विधायकों के मत जरूरी हैं। सपा व सहयोगी दलों के विधानसभा में 125 विधायक हैं। संख्या बल के हिसाब से सपा अधिकतम चार सीटें ही जीत सकती है। ऐसे में सपा सदस्यों की संख्या नौ रहेगी।
उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष रहे अहमद हसन के निधन के कारण व हाल ही में विधायक बने ठाकुर जयवीर सिंह के एमएलसी पद से त्यागपत्र देने की वजह से दो सीटें भी रिक्त हैं। इन सीटों पर भाजपा आसानी से अपने प्रत्याशियों को जीत दिला देगी। इसलिए अब सपा के लिए एकमात्र सहारा स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के एमएलसी चुनाव ही बचा है। इसमें न्यूनतम एक सीट जीतना सपा के लिए बेहद जरूरी है। भाजपा के नौ प्रत्याशियों के निर्विरोध निर्वाचन के बाद बची 27 सीटों के लिए मतदान नौ अप्रैल व मतगणना 12 अप्रैल को होगी। इसमें तय हो जाएगा कि विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद रहेगा या फिर छिन जाएगा। बसपा के भी छह जुलाई के बाद मात्र एक एमएलसी बचेंगे। कांग्रेस का तो प्रतिनिधित्व ही समाप्त हो जाएगा।