UP MLC Election: सपा ने शुरू किया विधान परिषद चुनाव के लिए टिकट बांटने का काम, पहले कैंडिडेट का ऐलान
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव 2022 को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने टिकटों का वितरण शुरू कर दिया है. पहला टिकट बहराइच-श्रावस्ती विधान परिषद क्षेत्र के लिए दिया गया है. सपा ने अमर यादव को इस क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाते हुए उन्हें विधान परिषद का टिकट दिया है. इस तरह अमर यादव सपा से MLC चुनाव 2022 (UP MLC Election 2022) के लिए टिकट पाने वाले पहले प्रत्याशी बन गए हैं.
बताया जा रहा है कि सभी प्रत्याशियों की घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी. स्थानीय निकाय के कोटे से 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 36 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियां इसके लिए उम्मीदवारों का नाम तय करने में जुट गई हैं.
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 36 सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर मंगलवार 15 मार्च से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 9 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, जबकि 12 अप्रैल को वोटों की गिनती होगी. गौतलब है कि विधानपरिषद की 36 सीटों के लिए दो चरण में चुनाव कराए जाएंगे. पहले चरण में 30 सीटों के लिए 15 से 19 मार्च तक पर्चा दाखिल किया जा सकेगा. नामांकन पत्रों की जांच 21 मार्च को होगी, जबकि 23 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे.
दूसरे चरण के तहत विधानपरिषद की 6 सीटों के लिए 22 मार्च तक नामांकन पत्र भरा जा सकेगा. 23 मार्च को नामांकन पत्र की जांच होगी और 25 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. दोनों चरण के लिए 9 अप्रैल को ही मतदान होगा. काउंटिंग भी एक ही दिन होगीस्थानीय निकाय क्षेत्र कोटे की 36 सीटों के लिए चुनाव
उत्तर प्रदेश विधानसभा की 36 सीटों के लिए चुनाव स्थानीय निकाय क्षेत्र कोटे के तहत कराया जाएगा. विधानपरिषद में फिलहाल समाजवादी पार्टी की सीटें सबसे ज्यादा हैं. मौजूदा समय में सपा की 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी की 36 सीटें हैं. हालांकि, सपा के 8 एमएलसी अब बीजेपी में जा चुके हैं. वहीं, बसपा का 1 एमएलसी भी बीजेपी में शामिल हो चुका है. बीजेपी इस बार के विधानपरिषद चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर उच्च सदन में भी बहुमत में आने की कोशिश करेगी.
पहले कराए गए विधानसभा चुनाव
आमतौर पर विधानपरिषद का चुनाव विधानसभा के पहले या बाद में होता रहा है. 7 मार्च को कार्यकाल खत्म होने के चलते चुनाव आयोग ने विधानसभा के बीच में ही इसका ऐलान कर दिया था, फिर बाद में यूपी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर परिषद के चुनावों को टाला गया था. स्थानीय निकाय की सीटों के लिए सांसद, नगरीय निकायों, विधायक, कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायतों के सदस्य, ग्राम प्रधान आदि वोटर होते हैं.