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UP Election Results: BJP की यूपी में फिर बनी प्रचंड बहुमत की सरकार, सीएम योगी के सामने होंगी ये 5 चुनौतियां

लखनऊ. यूपी में भाजपा की प्रचंड बहुमत वाली सरकार दोबारा बन गयी है. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे, क्योंकि खुद पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रैलियों में नारा दिया था कि एक बार फिर से योगी सरकार. ऐसे में योगी आदित्यनाथ का कद जितना बड़ा हुआ है उतनी ही चुनौतियां भी उनके सामने खड़ी हैं.

आइए जानते हैं कि नयी भाजपा सरकार के सामने पांच बड़ी चुनौतियां कौन सी होंगी. ये ध्यान रखना होगा कि दो साल के भीतर फिर से लोकसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकार को अपनी लोकप्रियता कायम रखने के लिए लगातार जूझते रहना होगा.

1. आवारा पशुओं की समस्या का समाधान

ये समस्या पूरे प्रदेश में बहुत विकराल है. इतना ज्यादा कि कयास ये लगाये जा रहे थे कि भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. हालांकि ऐसा हुआ नहीं और किसानों ने अपना धैर्य कायम रखा है. खुद पीएम नरेन्द्र मोदी को रैलियों में कहना पड़ा कि इस समस्या का समाधान निकाला जायेगा. अब भाजपा सरकार के सामने चुनौती होगी कि इस समस्या का क्या समाधान निकालती है. जब साल 2017 में योगी आदित्यनाथ सीएम बने थे तब अवैध बूचड़खानों पर रोक लगा दी गयी थी. धीरे-धीरे आवारा जानवरों की समस्या बढ़ती चली गयी. इससे निपटने के लिए गौशालाएं तो खोली गयीं, लेकिन उनसे समस्या का समाधान नहीं निकला. जाहिर है भाजपा सरकार को नया रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा.

2. नयी पेंशन स्कीम से खफा कर्मचारियों को मनाना

ये मामला देशव्यापी है. यूपी के चुनाव में भी ये बड़ा मुद्दा रहा. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वायदा अखिलेश यादव और मायावती दोनों ने किया था. इसमें तड़का राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने लगा दिया. राजस्थान सरकार ने चुनाव के बीच में घोषणा कर दी कि वे ओल्ड पेंशन स्कीम देंगे. ऐसे में अब यूपी की नयी भाजपा सरकार के सामने ये बड़ी चुनौती रहेगी कि वो कैसे लाखों कर्मचारियों को संतुष्ट करती है. आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले इसका हल खोजना होगा.

3. सरकारी पदों पर नियुक्ति और पेपरलीक रोकना

प्रतियोगी परिक्षाओं के पेपरलीक रोकना और सरकारी पदों पर भर्ती दो अहम चुनौतियां नयी भाजपा सरकार के सामने सुरसा की तरह मुंह बाये खड़ी हैं. पिछली सरकार के समय लगातार भर्ती परिक्षाओं के पेपर लीक हुए जिसकी वजह से उन्हें कैन्सिल करना पड़ा. ऐसे में परिक्षाओं की तैयारी में लगे परीक्षार्थियों के लिए ये किसी सदमे से कम नहीं होता. ऐसे में नयी सरकार को इसे रोकना ही होगा. साथ ही सरकारी पदों पर जमकर भर्ती करना भी सरकार के लिए कम बड़ी चुनौती नहीं होगी. भाजपा ने तो सभी सरकारी पदों को जल्द भरने का घोषणापत्र में वायदा भी किया है.

4. बिजली दरों को स्थिर रखना

यूपी के चुनाव में बिजली दर एक बड़ा मुद्दा रहा. सपा और आम आदमी पार्टी ने 300 यूनिट फ्री बिजली के वायदे किये थे. इसके दबाव में आकर सरकार को किसानों की सिंचाई वाली बिजली के रेट आधे करने पड़े. साथ ही घोषणापत्र में वायदा करना पड़ा कि अगले पांच सालों तक सिंचाई की बिजली फ्री देंगे. पिछले कई सालों से यूपी में बिजली की दर नहीं बढ़ी है. घरेलू बिजली का रेट पहले से ही लोगों पर भारी पड़ रहा है. दूसरी तरफ यूपी पावर कार्पोरेशन का घाटा बढ़ता जा रहा है.

 

इसे बिजली का रेट बढ़ाकर ही पूरा किया जा सकता है. ऐसे में सरकार के सामने ये बड़ी चुनौती होगी कि बिना रेट बढ़ाये बिजली विभाग का घाटा कैसे कम किया जाये. बिजली विभाग 1 लाख करोड़ के घाटे में है. हालांकि यूपी विद्युत राज्य उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि किसानों की बिजली माफी से बहुत बड़ा आर्थिक बोझ सरकार पर नहीं पड़ेगा.

5. अर्थव्यवस्था की मजबूती

पहले नोटबंदी और पिछले दो सालों से कोरोना की मार ने अर्थव्यवस्था को धूल चटा दी है. नोटबंदी के दुष्प्रभावों से जनता उबरने ही वाली थी कि कोरोना से रही सही कसर पूरी कर दी. बड़ी संख्या में बाहर के राज्यों में काम करने वाले लोग यूपी लौट आये हैं. हालांकि पिछली सरकार ने उन्हें रोजगार देने के भरपूर प्रयास किये, लेकिन अभी भी हालात काबू में करना बड़ी चुनौती बना हुआ है. राज्य पर कर्ज का बोझ बहुत बड़ा है. दूसरी तरफ चुनावी माहौल में लोकप्रिय फैसलों से ये बोझ और बढ़ता ही जाता है. ऐसे में नयी भाजपा सरकार के सामने ये बड़ी चुनौती होगी कि लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को मजबूती दें.

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