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पुरानी पेंशन, फ्री बिजली, वादे होंगे पूरे? अखिलेश यादव ने दिया जवाब

लखनऊ : उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त और विकास का मॉडल बनाने का संकल्प लेकर समाजवादी पार्टी एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं भाजपा सरकार ने पांच सालों में सिर्फ झूठ बोला है। अखिलेश दावा करते हैं कि इस बार प्रदेश की जनता झूठ का जवाब वोट से देने को तैयार बैठी है।

प्रदेश की जनता उनकी पार्टी को वोट क्यों दे इसका विजन भी बताते हैं। प्रस्तुत है हिन्दुस्तान के चुनावी अभियान ‘आओ राजनीति करें’ के तहत समाजवादी पार्टी के प्रमुख चेहरे अखिलेश यादव से हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर की बातचीत के प्रमुख अंश।

● आजकल प्रचार बंद है और विपक्ष में होने के नाते आपको रैलियों-सभाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्या आपको लगता है कि इससे चुनावी अभियान में फर्क पड़ रहा है?

उत्तर प्रदेश की जनता चुनावों की तारीखों का इंतजार कर रही थी। भारतीय जनता पार्टी की दोनों सरकारों ने जनता को दुख-परेशानी दी है। उनका हर वादा जुमला निकला। किसानों, नौजवानों को जो सपने दिखाए या उद्योग-व्यापार के लिए जो बातें की थीं उसका सच सबके सामने है। इसलिए जनता अब बदलाव चाहती है।

समाजवादी पार्टी ने रथयात्रा शुरू की तो जिस तरह से जनसमर्थन दिखाई दिया, कई बार तो ऐसा हुआ कि उम्मीद से ज्यादा लोग सड़कों पर आए वह बदलाव का ही स्पष्ट संकेत है। प्रतिबंधों की बात की जाए तो पहले चुनाव की जो रौनक होती थी, जिस तरह से चुनाव लड़ा जाता था इससे केवल राजनीतिक दलों का ही नुकसान नहीं हुआ, इससे संबंधी कारोबार से जुड़े लोगों का बहुत नुकसान हो गया, टेंट, माइक, झंडा और बैनर वालों का नुकसान हुआ है।

हां, जैसा पूर्व में यूपी का चुनाव होता था वैसा नहीं लड़ पा रहे हैं।● आप कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में असंतोष था, जनता बदलाव चाहती है। ऐसे में आपने दूसरी पार्टियों के कुछ लोगों को अपने यहां लाकर समझौते किए। आपको लगता है कि यह सामाजिक समीकरण जरूरी था?

कुछ बड़े नेता पार्टी में आए हैं, यह जरूरी भी था। यह वह नेता हैं जिनके पास व्यापक समर्थन है, अपने समाज पर प्रभाव डालते हैं। चुनाव में जब ऐसे बड़े नेता जुड़ते हैं जिनका एक जनाधार होता तो उसका फायदा सियासी दलों को मिलता है। अब इसका प्रभाव देखिए, भाजपा अभी तक डैमेज कंट्रोल नहीं कर पा रही है।

सपा ने अपना लक्ष्य स्पष्ट कर दिया है, लेकिन भाजपा अभी तक सफाई नहीं दे पा रही है। इनके विधायक-सांसद जनता की नाराजगी का सामना कर रहे हैं। जिनको टिकट मिल गए उनका खुलेआम विरोध हो रहा है। हालांकि यह हर पार्टी में होता है। लेकिन ये जो सत्ता में रहे और इनकी दो-दो सरकारें थीं इसके बाद भी जब ये जनता में जा रहे हैं तो इनका विरोध हो रहा है।● डबल इंजन की सरकार का विरोध हो रहा है?

यह डबल इंजन की वह सरकार है, जो एक-दूसरे के पहिए खोल रहे हैं। दिल्ली वाले लखनऊ के लखनऊ वाले दिल्ली के इंजन का पहिया खोल रहे हैं। अब देखिए मुख्यमंत्री कहां से टिकट मांग रहे थे, कभी कहा- मथुरा से लड़ेंगे, कभी अयोध्या तो कभी कहा- देवबंद से लड़ेंगे, क्योंकि वहां भाजपा के सदस्य नहीं हैं।

भाजपा जहां चाहेगी वहां से चुनाव लड़ाएगी, इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें कह दिया कि घर जाइएगा, गोरखपुर में अपने घर से चुनाव लड़िएगा। जिसे जनता को भेजना चाहिए था उसे पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने घर भेज दिया।

● जब इस तरह के समझौते होते हैं जैसे आपने कुछ पार्टियों से किए, कुछ बड़ी शख्सियतें आपके साथ आईं, तो आपकी पार्टी का वह कार्यकर्ता जो आपके साथ जुड़ा हुआ था उन्हें भी कभी-कभी ऐसा महसूस होता है जैसे उनके हक-हुकूक पर कुछ आंच आई। इस डैमेज को कैसे कंट्रोल करेंगे?

स्वाभाविक है, अगर आपको बड़ी लड़ाई लड़नी है तो बड़े मकसद के लिए त्याग करना पड़ेगा। पूर्व में कई मौकों पर हमारी पार्टी ने गठबंधन के लिए बड़े पैमाने पर त्याग किया। एक बार हम फिर भाजपा से मुकाबला करने के लिए त्याग कर रहे हैं और जो दूसरे दल हैं वह भी कहीं न कहीं त्याग करने के लिए तैयार रहें, तभी जाकर हमारा गठबंधन अच्छा चलेगा एवं दूसरे और दलों को शामिल कर सकते हैं। अभी तक हमारे गठबंधन में जितने दल आए हैं वह संतुष्ट हैं और एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं।

● पश्चिमी यूपी के मामले में भी आपको लगता है कि जो टिकट वितरित हुए जो आपका सहयोगी दल है वह पूरी तरह संतुष्ट है?

पश्चिमी यूपी में लगभग सभी सीटों पर एक-दूसरे से सहमति बनी है। एक आध जगह जहां दिक्कतें हैं, वहां भी आम सहमति बन जाएगी।

● आपने इससे पहले भी दो बड़े प्रयोग किए, एक मायावती से समझौता करके और एक कांग्रेस से। यह प्रयोग थोड़ा अलग है। इस बार आपने अपनी पार्टी का भी विस्तार किया। आपको समझौते रास आते हैं?

बड़े दलों के साथ मेरा अनुभव ठीक नहीं था, इसलिए मैं क्षेत्रीय दलों, छोटे दलों के साथ आया हूं और यह अनुभव जो मुझे मिले हैं उससे कह सकता हूं कि इस बार का गठबंधन या जिन दलों को साथ लाया हूं वह फलदायी साबित होगा।

● प्रियंका गांधी ने अभी एक इंटरव्यू में कहा कि अखिलेश को यदि जरूरत होगी तो वह भी समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने में सहयोग करेंगी।

अच्छी बात है कि वह अब सहयोग कर रही हैं। यह सहयोग तो पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन मुझे खुशी है कि जनता के साथ अब सब धीरे-धीरे खड़े हो रहे हैं।

● क्या आने वाले दिनों में कोई चुनावी समझौता भी हो सकता है क्योंकि अभी तो बहुत से चरण शेष हैं?

समाजवादी पार्टी का बड़े दलों से कोई गठबंधन नहीं हो सकता है। गठबंधन हो चुका है। सीटें लगभग तय हो चुकी हैं, बस एक बार सूची जारी होनी बाकी है।

● आपने कहा था कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक छोटा दल है समझौता हो सकता है?

वह बहुत पहले कहा था, लेकिन वह राष्ट्रीय दल है, उनकी डिमांड ज्यादा रहती है जिसे हम पूरा नहीं कर सकते हैं।

● जब आपके यहां स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, दारा सिंह आए थे तो यह बात उड़ी थी कि हर रोज एक मंत्री छोड़ेगा, बीस मंत्री उनके छोड़ेंगे फिर आपने अचानक फुलस्टॉप क्यों लगा दिया? वह नहीं आ रहे थे या आपने लगा दिया?

मैं कितनों को लेता, बहुत सारे लोगों का टिकट कटने जा रहा था, लेकिन जिस तरीके से मंत्री-विधायक आने लगे थे उससे भारतीय जनता पार्टी को अपनी सूची बदलनी पड़ी। उन्हें कहना पड़ा कि अब टिकट नहीं कटेगा तो कुछ संतुष्ट हो गए। यही हमारा लाभ है, क्योंकि अगर उनके विधायक हमारे साथ आते तो हमें उनके प्रति जनता की नाराजगी झेलनी पड़ती। अब हमारे लिए आसान हो गया।

● आप उत्तर प्रदेश के स्थापित नेता हैं, मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन जब चुनाव लड़ना होता है तो आप करहल चले जाते हैं इसी तरह योगी आदित्यनाथ गोरखपुर चले जाते हैं तो क्या सुरक्षित सीट की उन नेताओं को भी जरूरत पड़ती है जिनके चेहरे पर चुनाव लड़े जाते हैं?

सुरक्षित नहीं है, मेरी इच्छा थी कि मैं मुख्यमंत्री से पहले चुनाव लड़ लूं, इसलिए मैं उस चरण में चला गया।

● इसके पीछे वजह क्या है?

मैं उनसे पहले चुनाव लड़ना और जीतना चाहता हूं। मैं उनसे ज्यादा वोटों से जीतना चाहता हूं।

● आजकल आप रोज नई घोषणा करते हैं। आपने बिजली की घोषणा की कि 300 यूनिट बिजली फ्री देंगे, जबकि बिजली कंपनियां 90 हजार करोड़ के घाटे में चल रही हैं, आपने कैल्कुलेट कर लिया है?

जिस समय समाजवादी पार्टी ने कहा कि 300 यूनिट हम फ्री देंगे, उसी समय भाजपा की सरकार ने जाते-जाते यह फैसला लिया कि जो बिल हम लेते थे उसका आधा बिल हम लेंगे। सिंचाई के लिए भी आधा कर दिया तो मैं यह जानना चाहता हूं कि साढ़े चार साल बाद उन्हें क्यों याद आया और तब याद आया जब समाजवादी पार्टी ने 300 यूनिट बिजली फ्री कर दी। यह सरकार वह है जिसने यदि समय पर बिजली के कारखाने चलाए होते या पूरे कर दिए होते तो आज यूपी में अतिरिक्त व सस्ती बिजली होती। 90 हजार करोड़ का घाटा भाजपा स्वयं लेकर आई है।

● शनिवार को आपने घोषणा की कि 22 लाख लोगों को आईटी में नौकरी मिल जाएगी, आईटी में ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर उत्तर प्रदेश में कहां है?

समाजवादी सरकार बनने पर हम सबसे पहले एचसीएल को लखनऊ लेकर आए थे। अभी लगभग साढ़े पांच हजार लोग नौकरी कर रहे हैं। यदि लखनऊ जैसी जगह में सरकार की थोड़ी सी मदद से इतना बड़ा कैंपस बन सकता है तो सरकार यदि पूरा ध्यान देगी तो इस क्षेत्र में 22 लाख नहीं उससे ज्यादा क्वालिटी जॉब्स, प्रोफेशनल्स जॉब्स मिल सकते हैं।

कोई सोचता भी नहीं था कि लखनऊ में भी एचसीएल का एक कैंपस होगा। यहां भी तीन से साढ़े तीन हजार बीटेक छात्र पास होंगे। बारहवीं के बाद के 500 लोग आज वहां ट्रेनिंग कर रहे हैं।

मेट्रो के डेढ़ हजार इंजीनियर हैं। समाजवादी सरकार के प्रयास से एचसीएल का कैंपस आया, सैमसंग का एक्सपेंशन हुआ। तमाम मोबाइल कंपनियों ने प्लॉट लिए और काम शुरू हुआ। मुझे उम्मीद है जिस समय समाजवादी सरकार आएगी हम इंफ्रा पर अच्छा काम करेंगे, जो न केवल देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए एक अच्छा उदाहरण होगा।

● अब एक आखिरी सवाल, आपने कहा कि बीजेपी की सरकार जुमले वाली सरकार है, आपने कहा कि वह सिर्फ घोषणा करते हैं झूठ बोलते हैं, आप अपनी घोषणाओं को लेकर कितनी मजबूती से खड़े हैं?

मैंने जो भी वादा किया है उसकी पूरी स्टडी की गई है और बाकायदा फाइनेंशियल एक्सपर्ट की राय ली गई है। फैसले तभी लिए जब इसकी पूरी तैयारी हो गई। मान लो पुरानी पेंशन बहाल होनी है जिसे बीजेपी ने खत्म किया था। कई राज्य आज भी दे रहे हैं। तो उसके लिए संसाधन जुटाना और समय पर पुरानी पेंशन मिलना इसकी समाजवादी पार्टी ने पूरी स्टडी की है।

22 लाख नौकरी की बात की है मैंने। लखनऊ में कैंपस, सैमसंग का एक्सपेंशन या मेट्रो तो केवल उदाहरण हैं। कोविड के समय में लोगों ने देखा कि आईटी सेक्टर और आईटी सर्विसेस की कितनी जरूरत थी। अगर लखनऊ, बनारस, आजमगढ़, झांसी या जहां जरूरत है वहां हब बन जाए तो सब कुछ संभव है।

मुख्यमंत्री बार-बार एक बात कहते हैं कि मैंने कानून-व्यवस्था बहुत दुरुस्त की है। पहले इस प्रदेश की कानून-व्यवस्था अच्छी नहीं थी। यह आरोप है कि यदि समाजवादी पार्टी की सरकार आई तो आज जैसी कानून-व्यवस्था नहीं रहेगी आप इस पर क्या कहते हैं?

सबसे पहले तो मैं उत्तर प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाता हूं कि मेरी सरकार बनने पर यूपी में कानून का राज होगा। किसी के भी साथ न तो अन्याय होगा और न ही भेदभाव किया जाएगा। कानून जो कहेगा उसी के अनुसार कार्रवाई होगी। समाजवादी सरकार में पुलिस को लेकर बड़े-बड़े काम हुए।

ढांचागत बदलाव हुआ जो आज सभी के सामने है। पुलिस का रेस्पॉन्स सिस्टम अच्छा हुआ। भाजपा से अच्छा झूठ कोई नहीं बोल सकता है। मुख्यमंत्री यह बात भूल गए हैं कि उन्हीं के जिले में एक व्यापारी आया था, पुलिस ने उसे पीट-पीटकर मार डाला। आज सबसे ज्यादा हिरासत में मौतें यूपी में हो रही हैं।

आंकड़े देखें तो महिलाओं-बेटियों के साथ उत्पीड़न यदि कहीं सबसे ज्यादा है तो वह उत्तर प्रदेश है। यदि आंकड़ों की बात की जाए तो आज की कानून-व्यवस्था समाजवादी सरकार से कई गुना ज्यादा खराब है। भाजपा किस दावे के साथ कहती है कि कानून-व्यवस्था सुधरी है।

इस सरकार ने बहुतों के साथ अन्याय किया है। तमाम लोगों को मारा है, फर्जी एनकाउंटर हुए हैं। पुलिस हिरासत में मौतें सबसे ज्यादा हैं। पुलिस पर इतने आरोप कभी नहीं लगे। आईपीएस फरार है। देश के शायद ही किसी राज्य में आईपीएस फरार हो।

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