छठा चरण योगी की उम्मीदवारी के चलते हो गया है अहम
अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव मोदी-योगी के गढ़ पूर्वाचल में प्रवेश कर चुका है। छठे चरण की जिन 57 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर विधान सभा सीट भी शामिल है,जहां से योगी पहली बार विधान सभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार मतदाता किसकी कितनी झोली भरेंगे यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा,लेकिन बात 2017 के विधान सभा चुनाव की कि जाए तब बीजेपी ने 46, सपा ने 2, बसपा ने 5 और कांग्रेस ने एक सीट पर जीत हासिल की थी,वहीं एक सीट अपना दल (एस), एक सीट सुभासपा और एक सीट अन्य को मिली थी।
इस बार 10 जिलों की इन 57 सीटों पर तीन मार्च को वोट डाले जाएंगे। छठे चरण में गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके खिलाफ ताल ठोंक रहे भीम आर्मी के चन्द्रशेखर आजाद ‘रावण’ दिहाड़ी मजदूर से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर करने वाले विधायक अजय कुमार लल्लू, चर्चित हस्ती हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी के भी भाग्य का फैसला होना है।
छठे चरण में बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, संतकबीर नगर, बस्ती, अंबेडकर नगर, देवरिया, बलिया में वोटिंग होगी इस चरण में कुल 676 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है.इस चरण की लगभग 65 प्रतिशत विधानसभा सीटों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की उपस्थिति के कारण संवेदनशील घोषित किया गया है.
आपराधिक रिकॉर्ड वाले शीर्ष तीन उम्मीदवारों में सहजनवा, गोरखपुर से बसपा उम्मीदवार, 26 मामलों के साथ सुधीर सिंह, खड्डा, कुशीनगर जिले से सुहेलदेव राजभर भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के उम्मीदवार अशोक चौहान 19 मामलों के साथ और आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर रावण चुनाव लड़ रहे हैं। गोरखपुर से सीएम योगी के खिलाफ 16 आपराधिक मामले लंबित हैं। छठे चरण में दो उम्मीदवारों पर बलात्कार का आरोप है जबकि आठ के खिलाफ हत्या के मामले दर्ज हैं.
छठे चरण में 10 जिलों की 57 विधानसभा सीटों का चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में होने जा रहा है,इसलिए यहां भाजपा की जीत-हार का सीधा सियासी फायदा-नुकसान भी योगी को ही होगा। छठे चरण की दर्जनों विधानसभा सीटों पर मुख्यमंत्री के प्रिय उम्मीदवार मैदान में हैं। चुनाव लड़कर विधायक बनने के लिए पहली बार मुख्यमंत्री भी चुनाव मैदान में हैं। योगी की राह रोकने के लिए यहां विरोधी दलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है।
योगी को चुनावी समर में फंसा देने के इरादे से अखिलेश यादव ने पूरा जोर लगा दिया है। गोरखपुर शहरी सीट से भाजपा नेता स्व. उपेन्द्र दत्त शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ला मुख्यमंत्री के खिलाफ मैदान में हैं। गोरखपुर के चुनाव प्रचार को टक्कर का बनाने के लिए अखिलेश यादव ने सहयोगियों को भी विशेष तौर से लगाया है। बसपा के ख्वाजा समशुद्दीन, भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद भी ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस की चेतना पांडे योगी को चुनौती दे रही हैं।
गोरखपुर की मुख्य पहचान गीता प्रेस और गोरक्षा पीठ (गोरखनाथ मंदिर) है। 60 के दशक से पीठ यहां चुनाव में कभी नहीं हारा है। इस बार मंदिर के महंत, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में हैं। गोरखपुर ब्राह्मण बहुल सीट है। शहरी सीट पर 60-65 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। मुख्यमंत्री को जिस जाति (क्षत्रिय) से जोड़कर देखा जाता है, उसके मतदाताओं की संख्या 28-35 हजार है। वैश्य समाज ठीक-ठाक संख्या में है, लेकिन लगातार कई बार के विधायक राधामोहन दास अग्रवाल का टिकट कटने,उनका, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नाराजगी होने का खतरा भी है।
इस चरण में करोड़पति उम्मीदवारों की बात करें तो सपा के पास एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाले 45 उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा के पास 42, बसपा, कांग्रेस ने 26 और आप ने 14 करोड़पति उम्मीदवार उतारे हैं। इस चरण में भी 38 फीसदी करोड़पति उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इस चरण के चुनाव में सपा ने 94 फीसदी, बीजेपी ने 81 फीसदी, बसपा ने 77 फीसदी और कांग्रेस ने 46 फीसदी करोड़पति को मैदान में उतारा है.
सभी उम्मीदवारों में सबसे अमीर उम्मीदवारों में 67 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ गोरखपुर के चुलुपार से सपा के विनय शंकर तिवारी, अंबेडकरनगर से 63 करोड़ रुपये के साथ बसपा के राकेश पांडे और बलिया से उसी पार्टी के उमाशंकर सिंह ने 54 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है. इस चरण में अधिकतम 57 प्रतिशत उम्मीदवारों के पास स्नातक और उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता है.
छठे चरण में कुल 676 उम्मीदवारों में से 670 द्वारा दिए गए हलफनामों की एडीआर द्वारा जांच किए जाने से पता चला है कि 670 उम्मीदवारों में से 182 यानी 27 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 23 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर मामले लंबित हैं. इनमें समाजवादी पार्टी ने इस चरण में 48 में से 40 उम्मीदवारों यानी 83 प्रतिशत को मैदान में उतारा है, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि बीजेपी ने ऐसे 44 प्रतिशत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने आपराधिक इतिहास वाले 39 प्रतिशत उम्मीदवार उतारे हैं जबकि आम आदमी पार्टी ने केवल 14 प्रतिशत उम्मीदवार उतारे हैं.