अखिलेश यादव का भाजपा पर हमला, बोले- खून से लथपथ दिखने लगा अग्निपथ, यूपी में कानून व्यवस्था ध्वस्त
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मंत्रणा, सम्मति, मशवरा, परामर्श, विचार-विमर्श, संयुक्त निर्णय और सामूहिक बैठक ये लोकतांत्रिक शब्द भाजपाई शब्दकोश में नहीं हैं। इसलिए बार-बार मनमानी भरे फैसले थोपे जा रहे हैं। देश की ऊर्जा व जनशक्ति सरकार की जनविरोधी नीतियों और योजनाओं के विरोध में बर्बाद हो रही है।
उत्तर प्रदेश में जनता आंदोलित है। कानून व्यवस्था ध्वस्त है। महंगाई, भ्रष्टाचार व बुलडोजर से लोग त्रस्त हैं। विवादित बोल पर आक्रोश थमा नहीं था कि अग्निपथ खून से लथपथ दिखने लगा है।अखिलेश ने अपने एक बयान में कहा कि समाजवादी सरकार के विकास कार्यों का नाम और रंग बदलने के अलावा और कुछ भाजपा सरकार ने नहीं किया है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश की बदनामी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
भाजपा सरकार में बेटियां सर्वाधिक असुरक्षित हैं। बुलंदशहर में दुष्कर्म से डरी छात्रा ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया। शिकायत के 17 दिन बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई। बदायूं में होमगार्ड ने बालिका से दुष्कर्म किया। औरैया में छेड़खानी से आहत बेटी ने आत्महत्या कर ली। लखनऊ के काकोरी क्षेत्र में कोचिंग से आ रही छात्रा को अगवा करने की कोशिश हुई। हकीकत में उत्तर प्रदेश अव्यवस्था और अराजकता का जंगलराज बन गया है। भाजपा सरकार के प्रति हर ओर आक्रोश फूट रहा है।
एक दिन पूर्व सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा सरकार को यह दिखाई नहीं दे रहा है कि देश के कई प्रदेशों में भड़की विरोध की ज्वाला युवा विरोधी सत्ता को भस्म कर देगी।अखिलेश ने कहा कि पिछले कई साल से सेना में भर्ती नहीं हो पाई है। जो भर्तियां हुईं वह भी कोविड से प्रभावित हो गईं। अब उन्हें निरस्त किया जा रहा है। इसमें जो लोग पास हो चुके हैं, जिनका मेडिकल हो चुका है, उन्हें भी अब चार साल के लिए नौकरी मिलेगी। फिर चार साल के बाद क्या होगा ? यह घोर अन्याय है।
अखिलेश ने कहा था कि आज देश की स्थिति इतनी विकराल है कि सेना जैसी अति संवेदनशील जगह में संविदा पर सैनिक रखे जा रहे हैं। सपा अध्यक्ष ने सरकार से प्रश्न किया कि विवादित भर्ती योजना ‘अग्निपथ‘ से नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है? देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक या अनौपचारिक विषय नहीं है। यह अति गंभीर और दीर्घकालिक नीति की अपेक्षा करती है।