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सपा के गढ़ आजमगढ़ में ओवैसी की AIMIM और BJP प्रत्याशियों का ‘मिलन’, तस्वीर हो रही वायरल

यूपी विधानसभा चुनाव में अभी तक विरोधी दलों के नेताओं के आमने-सामने आने पर नारेबाजी, आक्रामता और यहां तक कि फायरिंग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लेकिन सपा के गढ़ आजमगढ़ से अलग तरह की तस्वीर सामने आई है।

आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से भाजपा ने अरविन्द जायसवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं एआईएमआईएम ने दो बार के विधायक शाह आलम उर्फ गुड्‌डू जमाली को उतारा है। विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए निकले दोनों नेताओं का जब आमना-सामना हुआ तो माहौल बिल्कुल जुदा दिखाई दिया।

भाजपा प्रत्याशी अरविन्द जायसवाल ने हाथ जोड़कर झुककर अभिवादन किया तो जवाब में शाह आलम उर्फ गुड्‌डू जमाली ने मुस्कराकर आशीर्वाद दिया। जहां एक तरफ दूसरे दलों से चुनाव लड़ने वाले धुर-विरोधी एक दूसरे को फूटी आंख भी नहीं सुहाते। ऐसे में जिले की इस तस्वीर की चारों तरफ चर्चा हो रही है।

इस बारे में अरविन्द जायसवाल का कहना है कि हम लोगों से ऐसे ही मिलते हैं। हमारी पार्टी भी बड़ों को सम्मान देने वाली पार्टी है। अरविन्द जायसवाल ने कहा कि वैसे भी भाजपा सबका साथ सबका विकास वाली पार्टी है। ऐसे में हम लोग सभी का सम्मान करते हैं।

मुबारकपुर सीट पर कड़ा है मुकाबला

जिले की मुबारकपुर सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला होता दिख रहा है। सपा ने अखिलेश यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि बसपा ने अब्दुल सल्लाम को अपना प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2012 से बसपा के टिकट पर दो बार विधायक चुने गए शाह आलम उर्फ गुड्‌डू जमाली ने बसपा से इस्तीफा देकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात की थी, पर सपा से टिकट न मिलने पर एआईएमआईएम के टिकट से मैदान में हैं। भाजपा ने अरविन्द जायसवाल को मुबारकपुर से अपना प्रत्याशी बनाया है।

यूपी के सबसे अमीर विधायक हैं शाह आलम

शाह आलम के शपथ पत्र के मुताबिक वह डेढ़ सौ करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं। शाह आलम इससे पहले बसपा के विधायक थे। उनकी गिनती यूपी के सबसे अमीर विधायकों में होती है। पिछले साल नवंबर में शाह आलम ने बसपा छोड़ दी थी।

शाह आलम ने अपने नामांकन पत्र के साथ लगाए गए शपथ पत्र में अपनी कुल संपत्ति, 157,18,63,959 रुपये बताई है। शाह आलम पूर्वांचल कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं जो रियल स्टेट का कारोबार करती है। 2012 में बसपा ने मुबारकपुर विधानसभा सीट से इनको टिकट दिया था और उन्होंने जीत हासिल की थी।

2017 में बसपा ने फिर से इस सीट से शाह आलम को ही मैदान में उतार दिया और भाजपा की लहर में भी वह चुनाव जीते थे। इसके बाद वो मायावती के करीबी हो गए और उन्होंने शाह आलम को बसपा की ओर से विधानमंडल दल नेता बना दिया। पिछले साल नवंबर में उन्होंने बसपा पर कई आरोप लगाते हुए सभी पदों और पार्टी से त्यागपत्र दे दिया।

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