रेलवे द्वारा दरगाह को हटाने के आदेश पर मुस्लिम समुदाय में रोष ताकत व फोर्स के बल पर दरगाह को हटाने से लॉ एंड आर्डर की होगी समस्या :अज़हरी
मीनू बरकाती
पीलीभीत। बरेली के इज्जतनगर स्टेशन पर सदियों पूर्व से स्थित दरगाह को हटाए जाने के रेलवे के डीआरएम द्वारा जारी किये गये नोटिस से मुस्लिम समुदाय में रोष पनप गया। जगह-जगह इसको लेकर विरोध दर्ज कराया जा रहा है। इसी क्रम में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष हा0 नूर अहमद अज़हरी के नेतृत्व में दर्जनों मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जिलाधिकारी बरेली को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी आशुतोष गुप्ता को सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया कि 1564 ई0 में सूफी संत हजरत सैय्यद नन्हें शाह मियां का मजार बना। उस वक्त जिस जगह उनका मजार बनाया गया, उस जगह पर कोई आबादी नहीं थी। इस जगह पर 1936 में इज्जतनगर रेलवे स्टेशन बनाने की शुरुआत हुई। जिसके बाद यह मजार रेल की पटरियों के पास आ गया। अंग्रेज अधिकारियों ने मजदूरों के सहयोग से इस मजारे मुकद्दस को हटाने की कोशिश की, मगर मजार नहीं हट सका। इन सूफी संत के रुहानी करिश्मे का अंग्रेज अधिकारियों और मजदूरों ने अपनी आँखों से देखा कि दिन में मज़ार हटाकर रेल की पटरिया बिछा दी जाती है। दूसरे दिन सुबह मज़ार उसी जगह मिलता है और रेल की पटरियां उखड़ी पड़ी मिलती हैं। ज्ञापन में कहा गया कि सन् 1938 में इज्जतनगर रेलवे स्टेशन की स्थापना हुई। बताया जाता है कि अभी चन्द साल पहले रेलवे स्टेशन का सौन्दर्यकरण हुआ, इसी दौरान रेलवे अधिकारियों ने मजार का भी सौंदर्यीकरण कराया। मज़ार पर सालों से 3 दिवसीय उर्स का भी आयोजन होता रहा है। जिस में मुसलमानों के साथ हिन्दू अकीदतमंदो की भी बड़ी संख्या रहती है। नगर मजिस्ट्रेट बरेली द्वारा वर्ष 1984 से लेकर 2019 तक बराबर लिखित परमीशन दी जाती रही हैं। गत वर्षों में कोरोना की वजह से उर्स नहीं हुआ है। ज्ञापन में यह कहा कि ना काबिले बर्दाश्त बात यह है कि डीआरएम इज्जतनगर बरेली प्रशासन द्वारा 07/12/2022 को सूफी संत के मजार को हटाए जाने का नोटिस दिया गया है। जिससे तमाम अकीदतमंदों में सख्त नाराजगी है। सदियों पुराने सूफी संत के मजार से अब तक किसी रेल अधिकारी को परेशानी नहीं हुई। मगर चंद महीनों से सुरेन्द्रा (रेलवे अधिकारी डी. आर. एम. इज्जतनगर बरेली) को समस्या पैदा हुई और उन्होंने बगैर किसी को भरोसे में लिए मजार पर नोटिस चिपका दिया। डीएम बरेली को भेजे ज्ञापन में कहा गया कि धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखते हुए फौरन निर्णय लेने की जहमत करें, चूंकि नोटिस की समय सीमा 28/12/2022 को खत्म हो रही है, ऐसी स्थिति में अगर ताकत व फोर्स के बलबूते मजार को हटाने की कोशिश की गई तो लॉ एंड ऑर्डर की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए लगाए गए नोटिस को खारिज कराए जाने की मांग की गई है। ज्ञापन देने वालों में हा0 नूर अहमद अज़हरी के अलावा कारी फुरकान बज्मी, हाफिज अब्दुल हसीब, हाफिज अरबाज रजवी, नोमान अली वारसी, संजय खान, साजिद अली रजवी, मौलाना इरशाद, इमरान खा, आजम खाँन, नाबिर अली मंसूरी नदीम अंसारी आदि मौजूद रहे।
मजार हटाने के आदेश पर सपा नेता ने की निंदा
पूरनपुर,पीलीभीत। समाजवादी पार्टी जिला सचिव और निवर्तमान सभासद तौफीक अहमद क़ादरी ने इज्जत नगर में रेलवे स्टेशन पर मौजूद हजरत नन्हें शाह मियां की मजार को हटाने के आदेश की निंदा की। श्री क़ादरी ने कहा कि नन्हें शाह मियां की मजार बरसों पुरानी है। अंग्रेजों ने भी मुस्लिमों की आस्था का सम्मान किया था और उस मजार से रेलवे का कोई लेना देना भी नहीं है। हमारा देश महापुरषों का देश है। हम एक दूसरे के महापुरषों का सम्मान करते हैं और महापुरुष तो सबके होते हैं। रेलवे को अपना आदेश वापस लेना चाहिए। नन्हें शाह मियां आस्था का प्रतीक हैं, हमें भी उनका सम्मान करना चाहिए।