The Kashmir Files: राहुल जी, आपकी दादी की राय अलग थी- कांग्रेस के ट्वीट्स पर बोले विवेक अग्निहोत्री
New Delhi : कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर केरल कांग्रेस के एक ट्वीट पर घमासान मचा हुआ है। दरअसल कश्मीरी पंडितों के पलायन पर केरल कांग्रेस के ‘फैक्ट चेक’ वाले ट्वीट के जवाब में, द कश्मीर फाइल्स के निदेशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक पत्र साझा किया है।
उन्होंने इंदिरा का पत्र शेयर करते हुए लिखा, “प्रिय राहुल गांधी जी, आपकी दादी की राय अलग थी।” 11 मार्च को रिलीज हुई द कश्मीर फाइल्स फिल्म, 1980 के दशक के अंत में पलायन के दौरान कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को दिखाने का दावा करती है। हालांकि, कांग्रेस की केरल इकाई ने आरोप लगाया कि अब केंद्र शासित प्रदेश में मारे गए मुसलमानों की संख्या कश्मीरी पंडितों की तुलना में अधिक है जो आतंकी हमले का शिकार हुए हैं।
Dear @rahulgandhi ji, your grandmother felt differently. Pl read this letter. https://t.co/7DU2Qmj7E3 pic.twitter.com/Wjyg4GDp34
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) March 13, 2022
विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर इंदिरा गांधी का पत्र साझा किया है जो उन्होंने अमेरिकी में रहने वाली डॉ निर्मला मित्रा को भेजा था। पत्र दिसंबर 1981 में लिखा गया था। पत्र में, इंदिरा गांधी ने लिखा, “मैं आपकी चिंता समझती हूं। मैं भी दुखी हूं कि ना तुम जो कश्मीर में पैदा हुई, न मैं, जिसके पूर्वज कश्मीर से आते हैं, दोनों ही कश्मीर में एक छोटा टुकड़ा जमीन भी नही खरीद सकते। लेकिन फिलहाल, मामला मेरे हाथ में नहीं है। मैं इस मुद्दे को ठीक करने के लिए जो चीजें जरूरी हैं वो अभी कर नहीं सकती, क्योंकि भारतीय प्रेस और विदेशी प्रेस दोनों ही मेरी छवि एक दबंग सत्तावादी के रुप में दिखा रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “लद्दाख में कश्मीरी पंडितों और बौद्धों के साथ बहुत गलत व्यवहार किया जा रहा है और उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।” बता दें कि विवेक अग्निहोत्री द्वारा ये लेटर शेयर किए जाने से पहले कांग्रेस की केरल इकाई ने फिल्म से असहमति जताते हनए एक ट्वीट किया था। केरल कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कश्मिरी पंडितों के बारे में तथ्य: वह आतंकी ही थे जिन्होंने पंडितों को निशाना बनाया। पिछले 17 सालों (1990-2007) में हुए आतंकि हमलों में 399 पंडित मारे गए है। इसी अवधि में आतंकवादियों की ओर से मारे गए मुसलमानों की संख्या 15,000 है।