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IPS हरिनाथ मिश्र? संभालेंगे पीएम मोदी की सुरक्षा व्यवस्था, बैंक कर्मचारी से सिक्युरिटी चीफ तक का सफर…

New Delhi। भागलपुर के भीखनपुर में जन्मे आईपीएस हरिनाथ मिश्र पिता भोला मिश्रा, माता दिव्या मिश्रा के सानिध्य में दुर्गा स्थान स्थान के समीप पुश्तैनी घर में बचपन से जवान हुए। कैबिनेट सचिवालय में सुरक्षा सचिव पद पर जाने के पूर्व हरिनाथ मिश्र के करियर का संघर्ष निचले पायदान से आरंभ हुआ और अब सुरक्षा सचिव पद पर पहुंच प्रधानमंत्री की सिक्युरिटी संभालेंगे। मेहनत के पहले पड़ाव में मिश्र स्टेट बैंक की नौकरी हासिल की थी।

स्टेट बैंक की कहलगांव शाखा में उनकी पहली तैनाती हुई थी, उसके बाद उन्हें बहुत जल्द जोनल कार्यालय, भागलपुर बुला लिया गया। जोनल कार्यालय में काम करते हुए बड़े मुकाम का लक्ष्य भेदने को तैयारी भी करते रहे। नतीजा हुआ कि चंद माह के अंदर ही वह आईपीएस बनने का लक्ष्य हासिल कर लिया। फिर हरिनाथ पीछे मुड़ कर नहीं देखे। पिता भोला मिश्र एनई रेलवे बरारी में तब ट्रेन गार्ड फिर स्टेशन मास्टर पद पर तैनात थे।

तब भीखनपुर में छोटी लाइन का रेलवे स्टेशन भी था। वहां से वह बरारी-भागलपुर और लत्तीपुर तक नौकरी करते रहे और अपने पांचों बेटों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। पांच बेटों में सबसे बड़े ओंकारनाथ मिश्र, हरिनाथ मिश्रा, उमानाथ मिश्रा, रविंद्र नाथ मिश्रा और अमरनाथ मिश्रा पारिवारिक संस्कार और लगन के बूते अच्छे मुकाम पर गए।

बड़े भाई ओंकारनाथ मिश्र रेडियो स्टेशन में उदघोषक के रूप में काफी ख्याति पाई तो दूसरे नंबर पर हरिनाथ ने भारतीय पुलिस सेवा का मुकाम हासिल किया। तीसरे नंबर के उमानाथ बैंक में बड़े अधिकारी का पद हासिल किया।

चौथे नंबर के रविंद्र नाथ मिश्रा ने आइआरएस सेवा का मुकाम पाया तो छोटे भाई अमरनाथ मिश्रा शिक्षा जगत का मुकाम हासिल किया। पारिवारिक संस्कार और लगन के बूते हरिनाथ के भतीजे नीलोत्पल मिश्रा भी आईपीएस बनने में सफल हुए। वर्तमान में महराष्ट्र कैडर में तैनात हैं।

बेहतर मुकाम हासिल करने के बाद भी जमीनी पहचान नहीं छोड़ी

हरिनाथ मिश्र को करीब से जानने वाले उनकी मिलनसारिता की खूब चर्चा करते हैं। जिस तरह तरह स्टेट बैंक में किरानी रहते सहजता से रहा करते और किसी से मिला करते थे, उसी तरह भारतीय पुलिस सेवा में आने के बाद भी हरिनाथ के स्वभाव में कोई तब्दीली नहीं आई। केरल काडर में आईपीएस बने हरिनाथ मिश्रा और उनके सभी भाइयों के लगन से गोल हासिल होने पर भीखनपुर में बेहतर शिक्षा का माहौल बना। पारिवारिक मित्रों में एक शिक्षाविद राजीव कांत मिश्रा कहते हैं कि भोला बाबू के पांचों लड़कों के बेहतर मुकाम तक पहुंचने से माहौल बदला।

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