श्रीलंका को ‘आधार कार्ड’ बनाने में मदद करेगा भारत, ग्रांट को मिली मंजूरी
नई दिल्ली : भारत श्रीलंका के ‘डिजिटल पहचान ढांचे’ को लागू करने के लिए मदद करने पर सहमत हो गया है। श्रीलंका मंत्रिमंडल ने 7 फरवरी को यह फैसला किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये डिजिटल आईडी ‘आधार कार्ड’ तकनीक पर आधारित होंगे। श्रीलंकाई कैबिनेट मंत्री नामल राजपक्षे ने इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने भारतीय मदद के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है।
श्रीलंकाई सरकार ने कहा है कि प्रस्तावित डिजिटल आइडेंटिटी फ्रेमवर्क के तहत बायोमेट्रिक डेटा के आधार पर एक व्यक्तिगत पहचान सत्यापन उपकरण पेश करने की उम्मीद है। यह एक डिजिटल टूल होगा जो साइबर स्पेस में लोगों की पहचान का प्रतिनिधित्व कर सकता है और इसके जरिए फिजिकल पहचान को डिजिटली सटीक रूप से सत्यापित किया जा सकता है।
2019 में दोनों देशों ने प्रोजेक्ट पर किए थे साइनरिपोर्ट्स बताती हैं कि इस पहल की शुरुआत दिसंबर 2019 में राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद हुई थी। श्रीलंका सरकार ने भारत से अनुदान प्राप्त करने और प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
हालांकि अनुदान मूल्य को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। बता दें कि श्रीलंका बुरी तरह से आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। भारत ने इस संकट की घड़ी में कोलंबो की हर संभव मदद की है। 2022 की शुरुआत से लेकर अब तक भारत ने श्रीलंका को 10,462 करोड़ रुपये की मदद की है।11 सालों से डिजिटल आईडी बनाना चाह रहा है श्रीलंका
दी हिंदू की एक रिपोर्ट बताती है कि यह पहली बार नहीं है जब श्रीलंका अपने नागरिकों की पहचान को डिजिटाइज करने की कोशिश कर रहा है।
2015-2019 के दौरान मैत्रीपाला सिरिसेना और रानिल विक्रमसिंघे सरकार ने भी इलेक्ट्रॉनिक-राष्ट्रीय पहचान पत्र बनाने की कोशिश की थी लेकिन गोपनीयता को लेकर सवाल उठे थे और मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इससे भी पहले महिंदा राजपक्षे सरकार ने 2011 की शुरुआत में इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम रही थी।