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अमेरिका के साइलेंट डिप्लोमैसी से चित हुआ चीन, नेपाल और फ‍िजी से बेदखल होगा ड्रैगन, भारत को होगा लाभ

नई दिल्‍ली। China America News: चीन को घेरने के लिए अमेरिका ने अपनी कूटनीतिक चाल को तेज कर दिया है। अमेरिका के साइलेंट डिप्लोमैसी से ड्रैगन पूरी तरह से चित हो गया है। इस क्रम में चीन को घेरने के लिए अमेरिका ने फ‍िजी और नेपाल पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। फ‍िजी को अपने साथ शामिल करके अमेरिक ने हिंद प्रशांत क्षेत्र के रणनीतिक तस्‍वीर को पलट दिया है।

उधर, नेपाल पर डोरे डाल रहे चीन को बड़ा झटका लगा है। विशेषज्ञ 20 वर्ष बाद किसी नेपाली प्रधानमंत्री की वाशिंगटन यात्रा को इसी कड़ी के रूप में देख रहे हैं। ऐसे में यह प्रश्‍न उठता है कि इन दोनों छोटे मुल्‍कों का अमेरिका के लिए क्‍या मायने है। आखिर अमेरिका और चीन की नजर नेपाल और फ‍िजी पर क्‍यों टिकी है। इससे भारत का क्‍या लाभ होने वाला है।

अमेरिका के लिए हिंद प्रशांत क्षेत्र में क्‍यों जरूरी है फ‍िजी

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो अभिषेक सिंह का कहना है कि नेपाल और फ‍िजी में अमेरिका ने अपनी कूटनीतिक पहल को तेज किया है। नेपाल में चीन के बढ़ते दबदबे को खत्म करने के लिए अमेरिका कई दिनों से साइलेंट डिप्लोमैसी की रणनीति के तहत काम कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि अब इसके नतीजे भी सामने आने लगे हैं।

नेपाल और अमेरिका शीर्ष स्‍तर पर वार्ता करने जा रहे हैं। नेपाल के सेना प्रमुख प्रभुराम शर्मा जून में अमेरिका की यात्रा पर होंगे। है। इसके कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भी वाशिंगटन के दौरे पर जाएंगे। यह 20 साल में नेपाल के किसी प्रधानमंत्री का पहला अमेरिका दौरा होगा।

उनकी इस यात्रा को इसी कड़ी के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है। अमेरिकी फ्रेमवर्क में फ‍िजी के शामिल होने को भी इस क्रम में देखा जा सकता है। इसके कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भी वाशिंगटन के दौरे पर जाएंगे। यह 20 साल में नेपाल के किसी प्रधानमंत्री का पहला अमेरिका दौरा होगा।

2- प्रो सिंह का कहना है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्‍व के लिए फ‍िजी का अमेरिका के साथ आना काफी अहम है। फ‍िजी के बहाने अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करेगा। इसके जरिए वह आर्थिक और सामरिक चुनौतियों को आसानी से निपटा सकता है।

अमेरिका जानता है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसे चीन और रूस से जबरदस्‍त टक्‍कर मिलने वाली है। इसी के मद्देनजर वह अपनी रणनीति बनाने में जुटा है। क्‍वाड और आकस को वह उसी कड़ी से जोड़कर देखते हैं। उन्‍होंने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने के लिए अमेरिका अब एक साइलेंट डिप्‍लोमैसी पर काम कर रहा है।

दूसरे, अमेरिका इस पूरे मामले को एक वैचारिक जंग का जामा पहनाने में जुटा है। वह एक विचार वाले राष्‍ट्रों को एक मंच पर लाकर चीन को अलग-थलग करना चाहता है। चीन का इस पर मनोवैज्ञानिक असर होगा।

अमेरिका के लिए क्‍यों उपयोगी है नेपाल

1- प्रो सिंह ने कहा कि 2018 में अमेरिका ने कहा था कि नेपाल हिंद और प्रशांत क्षेत्र में हमारी रणनीति का हिस्सा है। इससे अमेरिका के लिए नेपाल के महत्‍व को समझा जा सकता है। इस लिहाज से नेपाल भी अमेरिका के लिए काफी मायने रखता है।

चीन और नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी से बेहतर संबंध रहे हैं। यही कारण है कि नेपाल में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की सरकार आते ही वह अमेरिका से दूरी बना लेता है। फ‍िलहाल नेपाल में सत्‍ता परिवर्तन के साथ अमेरिका और नेपाल में नजदीकी बढ़ी है।

2- नेपाल के सेना प्रमुख 27 जून को अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं। यह उम्‍मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच सैन्‍य सहयोग के नए आयाम खुलेंगे। नेपाल सेना प्रमुख पेंटागन का भी दौरा करेंगे। इसके बाद साउथ एशिया के मामले देखने वाले अमेरिका के तमाम आला अफसरों से मुलाकात करेंगे।

अमेरिका नेपाल को पहाड़ी इलाकों के लिए जरूरी मिलिट्री हार्डवेयर देने जा रहा है। यह नेपाल जैसे पहाड़ी क्षेत्र वाले देश के लिए बहुत मददगार साबित होंगे। गत दिनों अमेरिकी अंडर सेक्रेटरी उजरा जेया समेत तीन आला अफसरों ने गुपचुप नेपाल यात्रा की थी। 2017 में अमेरिका ने नेपाल को 500 मिलियन डालर की मदद दी थी।

भारत के हित अमेरिकी दखल

नेपाल भारत का पड़ोसी मुल्‍क है। हाल के दिनों में नेपाल और चीन की निकटता ने भारत को चिंता में डाल दिया था। चीन की शह पर नेपाल ने भारत के साथ पुराने सीमा विवाद को उकसाया था। हालांकि, नेपाल में सत्‍ता परिवर्तन के साथ दोनों देशों के बीच सामान्‍य संबंध स्‍थापति हुए।

अमेरिका का नेपाल में दखल से यहां चीन का प्रभुत्‍व घटेगा यह भारत के हित में होगा। उधर, हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की दिलचस्‍पी से भारत चिंतित है। अमेरिका के दखल के चलते यहां एक नया शक्ति संतुलन स्‍थापित होगा।

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