बदहाली का दंश झेल रहा नईकोट रेलवे स्टेशन
बदहाली का दंश झेल रहा नईकोट रेलवे स्टेशन.
हिन्दमोर्चा न्यूज़ महराजगंज/ रतनपुर.
- 1924 में अंग्रेजी शासनकाल में बना था नईकोट रेलवे स्टेशन.
- बिजली, पानी का स्टेशन पर है घोर अभाव.
- बैठने की समुचित ब्यवस्था नही, आने जाने वाले राहगीरों के लिए नही है रास्ता.
गोरखपुर – नौतनवां रेलपथ के मध्य नौतनवां तहसील अन्तर्गत स्थित 1924 में बना नईकोट रेलवे स्टेशन पूरी तरह बदहाल हो चुका है। प्रतिदिन दर्जनों गाँवों के हजारों यात्रियों का आना जाना इस स्टेशन से हाेता है।परन्तु यहाँ ना तो यात्रियों के बैठने की समुचित व्यवस्था है और ना ही बिजली व पानी की सुविधा है। टिकट घर भी जर्जर हो चुका है ।बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहाँ यात्रियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
नौतनवां गोरखपुर रेलमार्ग पर नईकोट सबसे पुराना रेलवे स्टेशन माना जाता है।पहले यहाँ दो रेलट्रैक थे। यहाँ पर मालगाड़ी से माल लाकर ऊतारा जाता था।स्टेशन पर कई रेल कर्मचारी हुआ करते थे लेकिन कुछ साल पहले इस स्टेशन को हाल्ट रेलवे स्टेशन बना दिया गया और यही से स्टेशन की बदहाली शुरू हो गई।अब आलम यह है कि स्टेशन पर दो हैंडपम्प है जिसमें एक खराब है, दूसरा ग्रामप्रधान ने बनवा दिया है। बिजली के 13 पोल लगे हैं, जिसमें केवल दो पर लाइट जलती है। रात में अंधेरे के कारण तमाम लोग चोटिल भी हो चुके हैं।बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। बैठने के लिए जो पहले सीमेंट के चबूतरे बने थे वे टूट गए हैं। प्लेटफार्म काफी नीचे होने के कारण लोगों को ट्रेन पर चढ़ने व उतरने में काफी मुश्किल होती है गन्दगी का यह आलम है कि चारो तरफ से स्टेशन कूड़ा करकट से पटा है। स्टेशन की सालों से रंगाई पुताई नही की गई है।वर्षात में छत से पानी टपकता है ।जर्जर हो चुके टिकट घर की वर्षो से सुध नही ली गई है यहाँ तक कि स्टेशन पर आने जाने की समुचित व्यवस्था नही है।
इस सम्बन्ध में लोगों का कहना है कि कई बार रेलवे के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया लेकिन विभाग द्वारा कोई ध्यान नही दिया गया।क्षेत्र के केशव, ओमप्रकाश, रमेश, बाले आलम, अशोक, बेचन, भगवान दास, विनय सहित तमाम लोगों नें रेल विभाग से इन समस्याओं के त्वरिक निदान की मांग किया है।
हिन्दमोर्चा ब्यूरो गिरधर सिंह संवाददाता विकास साहनी की रिपोर्ट.