घड़ियाल प्रजनन के सपनों को लगा पंख, अंडों से निकले 33 बच्चे
हिन्दमोर्चा न्यूज़ निचलौल/महराजगंज
● नारायणी नदी के साफ पानी के कारण इसे बनाया गया है प्रवास
● वन विभाग के अथक प्रयास से बढ़ने लगी घड़ियालों की संख्या
संवाददाता: प्रदीप कुमार गौड़
सोहगीबरवा वन्य जीव संरक्षण प्रभाग के निचलौल वन क्षेत्र में बहने वाली नारायणी गंडक नदी में घड़ियालों के संरक्षण अभियान के तहत शनिवार को एक घड़ियाल के 34 अंडों से 33 बच्चे निकले। जिसे नारायणी नदी में छोड़ दिया गया। जहां डीएफओ भी मौजूद रहे। घडियालों के प्रवास व प्रजनन के अनुकूल माने जाने वाले इस क्षेत्र में संरक्षण के लिए विभाग जुट हुआ है
प्रभागीय वनाधिकारी नवीन प्रकाश शाक्य ने बताया कि जिस प्रकार जंगल में शेर की उपस्थिति स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ होने का परिचायक है। उसी तरह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ रहने का सबसे बड़ा प्रमाण घड़ियाल होता है। घड़ियाल के लिए स्वच्छ जल व धारा युक्त जल अनुकूल होता है। वर्तमान समय में इनकी प्रजातियों में हो रही भारी कमी के कारण इनके अस्तित्व पर संकट सा छाने लगा है। इसका कारण कहीं न कहीं प्रदूषित हो रही हमारी जलीय पारिस्थिति तंत्र का अहम योगदान रहा है। नारायणी नदी पर पर्यटकों को लुभाने के साथ ही नदी में इनकी संख्या बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिसके कारण 33 घड़ियालों का प्रजनन हुआ है।
इनसेट:
जून से अक्टूबर माह है प्रजनन का अनुकूल समय
: वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सदस्य अरसद अहमद ने बताया कि घड़ियाल के प्रजनन का सबसे अनुकूल समय जून से अक्टूबर माह का होता है। इस समय घड़ियाल अपना प्रवास नदी के बजाय नदी किनारे रेत में बनाते हैं। जिसमे वह अपने अंडों की सुरक्षा के लिए एक से अधिक रेत का घोसला बनाते हैं। लेकिन अंडे किसी एक घर मे ही देते है। जिसकी मात्रा 40 से 60 की संख्या में होती है। रेत का कई घोसला अंडों को जंगली जानवरों से बचाव करता है।
साफ पानी का संकेत है घड़ियाल
: जानकार बताते हैं कि घडियालों का प्रवास क्षेत्र साफ व अविरल जल होता है। जहां घड़ियाल पाए जाते हैं, उस पानी को साफ माना जाता है। यही कारण है कि रेत से छनकर पहाड़ों से आने वाली नारायणी के पानी मे घडियालों को छोड़ा गया था।
घड़ियाल व मगरमच्छ में होता है अंतर
: पानी मे तैर रहे घड़ियाल व मगरमच्छ को देखकर अक्सर लोग भ्रम में होते हैं कि घड़ियाल व मगरमच्छ एक ही जीव हैं। जबकि दोनों में अंतर होता है। वन क्षेत्राधिकारी सुनील कुमार राव ने बताया कि घडियाल सामान्य तौर पर किसी पर हमला नही करते। वह केवल अपने भोजन के लिए छोटी मछलियों का शिकार करते हैं। जिनका मुंह काफी लंबा घड़े के जैसा होता है। वहीं मगरमच्छ शिकारी जीव है, जो किसी पर भी हमला कर सकता है। जिसके जबसे बड़े और ज्यादा खुलने वाले होते है। साथ ही उसके दांत नुकीले व लंबे होते हैं।