Lucknow

UP : भूमिगत जल में बढ़ी फ्लोराइड की मात्रा, फ्लोरोसिस रोग ने लागों को जकड़ा; BBAU के शोध में हुआ खुलासा

लखनऊ, समय के साथ सब कुछ बदल रहा है। स्वास्थ्य के प्रति सजगता के साथ जाने अनजाने में लापरवाही भी सामने आने लगी है। बढ़ते जल प्रदूषण और भूमिगत जल के इस्तेमाल की विवशता ने मानव को बीमारी के मुहाने पर पहुंचा दिया है। दांतों में पीलापन और हड्डियों को कमजोर करने वाली फ्लोरोसिस बीमारी का खतरा बढ़ गया है। भूमिगत जल में फ्लोराइड की मात्र बढ़ने से बीमारी का खतरा बढ़ गया है। यह हम नहीं बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) द्वारा किए गए शोध में संभावना व्यक्त की गई है।

बीबीएयू के प्रो. नरेंद्र कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश लखनऊ, रायबरेली, कानपुर, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव, बाराबंकी, जौनपुर, मिर्जापुर और वाराणसी के ग्रामीण इलाकों में लगे इंडिया मार्का हैंडपंप के पानी को लेकर उसका विश्लेषण किया गया। पानी में फ्लोराइड निर्धारित 1.5 मिलीग्राम प्रतिलीटर की मात्रा से अधिक पाया गया।

jagran

लखनऊ के सभी ब्लाकों में किए गए परीक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 2011 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से एक लीटर पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिलीग्राम का मानक निर्धारित है। पानी का प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया तो पता चला कि प्रदेश के ज्यादातर जिले में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है या उसके करीब है।

यहां 50 प्रतिशत से अधिक लोग प्रभावित : बीबीएयू के दो साल के शोध और विश्लेषण के आधार पर जारी की गई रिपोर्ट में लखनऊ से मात्र 110 किमी दूरी पर गंगा-यमुना के बीच बसे फतेहपुर शहर में दर्जनों गांव फ्लोराइड की महामारी झेल रहे हैं। फतेहपुर के चौहट्टा और चितिसपुर ऐसे दो गांव हैं जहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होने से 50 प्रतिशत से अधिक लोग हड्डी की कमजोरी और दांत के पीले पन से प्रभावित हैं। गावों में तो बुनियादी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन शुद्ध पेयजल की समस्या विकराल हो चुकी है।

बीमारी से कैसे बचें
  • भूमिगत जल में जाने वाले हानिकारक अपशिष्ट को जाने से रोकना होगा।
  • रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक व हरी खाद का प्रयोग करना होगा।
  • बीमारी से बचने के लिए कैल्सियम युक्त आहार का प्रयोग करना होगा।
  • पानी उबाल कर पीने से भी खतरा कम होगा।
  • विश्वविद्यालय लगातार सामाजिक सरोकारों से जुड़े मसलों पर शोध करता रहा है। शोध के परिणाम को संबंधित विभाग को भेजा जाएगा जिससे जिम्मेदार इसे रोकने के उपाय कर सकें। प्रो. नरेंद्र कुमार व उनकी टीम ने दो साल की मेहनत से यह शोध पूरा किया है। आगे भी ऐसे शोध विश्वविद्यालय स्तर पर किए जाएंगे। – प्रो. संजय सिंह, कुलपति, बीबीएयू
लखनऊ के पानी में फ्लोराइड
  • बख्शी का तालाब- 0.57 से 1.16 मिलीग्राम प्रतिलीटर
  • चिनहट- 0.58 से 1.76 मिलीग्राम प्रतिलीटर
  • गोसाईगंज- 0.65 से 1.71 मिलीग्राम प्रतिलीटर
  • काकोरी- 0.63 से 4.52 मिलीग्राम प्रतिलीटर
  • माल- 0.54 से 0.97 मिलीग्राम प्रतिलीटर
  • मलिहाबाद- 0.57 से 0.95 मिलीग्राम प्रतिलीटर
  • मोहनलालगंज- 0.42 से 3.34 मिलीग्राम प्रतिलीटर
  • सारोजनीनगर- 0.61 से 6.85 मिलीग्राम प्रतिलीटर
    Note- (विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1.5 मिलीग्राम प्रतिलीटर से अधिक फ्लोराइड की मात्रा खतरनाक)

पूरी खबर देखें

संबंधित खबरें

error: Content is protected !!